Cannes 2025: हिंदी सिनेमा की ऐसी कई फिल्में हैं, जिनको कान्स में प्रीमियर के लिए चुना गया. लेकिन आज हम आपको 24 साल पुरानी उस ब्लॉकबस्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कान्स में तो नहीं जा सकी, लेकिन उस फिल्म ने जर्मनी और यूरोप इतिहास रच दिया था. करोड़ों में बनी इस फिल्म को डायरेक्ट ने बस लाखों में बेच दिया था.
Trending Photos
Yash Johar Movie Kabhi Khushi Kabhie Gham: कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है, जिसका आगाज 13 मई को हुआ था और ये 24 मई तक चलेगा. इवेंट में अब तक कई बॉलीवुड सेलेब्स अपने फैशन का जलवा बिखेर चुके हैं. इसी बीच करण जौहर ने साल 2002 की अपनी पहले कान्स डेब्यू को याद किया. उन्होंने बताया कि उनकी 24 साल पुरानी फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ को कान्स में दिखाने का मौका मिला था, लेकिन फिल्म की रिलीज डेट की वजह से ये नहीं हो सका.
करण उस वक्त बहुत एक्साइटेड थे, क्योंकि कान्स दुनिया का एक बड़ा फिल्म फेस्टिवल है. वो वहां अपने पापा, यश जौहर के साथ गए थे और ये सफर उनके लिए खास बन गया. करण ने बताया कि 2001 में अक्टूबर-नवंबर के आसपास कान्स टीम ने उनसे कॉन्टैक्ट किया था. वे चाहते थे कि उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' का एक बड़ा प्रीमियर वहां हो. लेकिन उस वक्त ये फिल्म दिसंबर 2001 में रिलीज होनी थी. अगर वे फिल्म को कान्स तक रोकते, तो रिलीज से में सात महीने की देरी हो जाती.
करण जौहर को याद आया कान्स डेब्यू
करण ने ये रिस्क नहीं लेना चाहते थे. बाद में वही जगह उनकी फिल्म 'देवदास' को मिली. ऐश्वर्या राय और शाहरुख खान ने रेड कार्पेट पर हिस्सा लिया और ये सभी के लिए एक यादगार पल बन गया. हालांकि, फिल्म कान्स में नहीं दिखाई गई, लेकिन करण अपने पिता यश जौहर से साथ वहां गए थे और 10 दिन कर वहीं रुके. साथ ही उन्होंने मार्केट में एक स्टॉल लगाया. करण बताते हैं कि उनके पापा स्टॉल पर अकेले खड़े रहते थे और उन्हें कहते थे, 'बेटा, तू जा, फिल्में देख'.
‘बहुत टूट गई...’, मां को याद कर इमोशनल हुईं जैकलीन, सुकेश चंद्रशेखर मामले पर ऐसा था रिएक्शन
करोड़ों की फिल्म लाखों में बेची थी
करण ने वहां बहुत सारी फिल्में देखीं और 'देवदास' की स्क्रीनिंग में भी गए. उन्हें कान्स का ग्लैमर बहुत पसंद आया और उन्होंने पहली बार बड़े फिल्म फेस्टिवल का एक्सपीरियंस किया. करण ने बताया कि उनके पापा ने ‘कभी खुशी कभी गम’ को यूरोप के लिए सिर्फ 5000 डॉलर में बेच दिया. ये डील एक स्टीफन नाम के जेंटलमैन शख्स के साथ हुई थी. इउस वक्त करण रह गए और अपने पापा से पूछा, 'पापा, सिर्फ 5000 डॉलर में क्यों बेची?'. पापा ने जवाब दिया, 'पता नहीं बेटा, शायद कुछ अच्छा हो जाए'.
फिल्म ने विदेश में रच दिया था इतिहास
उन 10 दिनों में यही एक फिल्म बीकी थी. ये बात करण को हमेशा याद रही. आज वो इस पल को याद कर इमोशनल हो जाते हैं. करण ने आगे बताया कि उनके पापा 2004 में दुनिया से चले गए, लेकिन वो ये नहीं देख पाए कि ‘कभी खुशी कभी गम’ ने यूरोप में कितना बड़ा असर डाला. फ्रांस में इस फिल्म को 'La Famille Indienne' नाम से रिलीज किया गया. इसके बाद शाहरुख खान की पॉपुलैरिटी जर्मनी और यूरोप में काफी बढ़ गई. करण को लगता है कि यूरोप में बॉलीवुड की जो पहचान बनी, उसकी शुरुआत इसी फिल्म से हुई थी.
40 करोड़ के बजट में कमाए थे 130 करोड़
ये फिल्म सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी बहुत पसंद की गई. इस फिल्म ने उस वक्त 40 करोड़ के बजट में 135.53 करोड़ की कमाई की थी. करण जौहर की ये कहानी सिर्फ एक फिल्म की नहीं, बल्कि एक पिता और बेटे के सपनों की है. यश जौहर ने बिना किसी उम्मीद के फिल्म बेची, लेकिन बाद में उसी फिल्म ने इतिहास रच दिया. कान्स का ये पहला एक्सपीरियंस करण के लिए बहुत सीखने वाला रहा. आज जब वे 2025 में कान्स को देखते हैं, तो उन्हें वो पुरानी यादें फिर से ताजा हो जाती हैं.