Bhagalpur Litchi: भागलपुर का नवगछिया जो कभी केला, कलाई और क्राइम के लिए मशहूर हुआ करता था आज वो नवगछिया लीची के लिए मशहूर होने लगा है. नवगछिया के लीची किसान चंदन सिंह को सिंगापुर, घाना, दुबई, कतर और ओमान से ऑर्डर मिले है.
भागलपुर का नवगछिया जो कभी केला, कलाई और क्राइम के लिए मशहूर हुआ करता था. आज वो नवगछिया लीची के लिए मशहूर होने लगा है. भागलपुर के नवगछिया की मनराजी लीची अब विदेशों में अपनी पहचान बनाने लगी है.
नवगछिया के लीची किसान चंदन सिंह ने इसकी शुरुआत की. उन्होंने यहां के लीची को विदेश तक पहुंचाने का काम किया. लीची किसान चंदन सिंह को सिंगापुर, घाना, दुबई, कतर और ओमान से ऑर्डर मिले हैं. भागलपुर की लीची पिछले दो वर्षों से विदेश भेजी जा रही है.
किसान चंदन खुद का एपीओ चलाते हैं. धीरे-धीरे उन्होंने यहां के लीची को पहचान दिलाई. पिछले यहां से दुबई लीची भेजी गई थी. इस बार यहां की लीची कई देश के लोग चखेंगे. यहां ऑर्डर करने पर 48 घंटे के भीतर किसी भी कोने में लीची पहुंच जाएगी.
चंदन सिंह को एपीडा के माध्यम से इस दौरान 50 टन के ऑर्डर मिले थे, जिसको लेकर उन्होंने गोपालपुर में अपने और खरीक में एक बगीचे से लीची को तुड़वाया फिर लाइनर बैग में डाल कार्टून में पैक कर ऑर्डर भेज रहे हैं.
किसान चंदन सिंह ने बताया की देखिए बिहार में 87% लीची का उत्पादन होता है. सबसे उत्तम बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची को माना जाता है. उन्होंने दो तरह की लीची मनराजी और शाही के बारे में बताया कि दोनों लीची अपने-अपने क्षेत्र के लिए बेहतर हैं.
मनराजी लीची स्वाद में शाही लीची की तरह ही स्वादिष्ट है. कोसी और गंगा की उपजाऊ मिट्टी में पैदा होने के कारण यह लीची बहुत स्वादिष्ट और रसदार होती है. चन्दन सिंह ने मनराजी लीची को पहचान दिलाई अब वह इसे जीआई टैग दिलवाने में लगे हैं.
मनराजी लीची और शाही लीची के बारे में किसान चंदन सिंह ने बताया कि दोनों लीची अपने-अपने क्षेत्र के लिए बेहतर हैं. बिहार कृषि विश्विद्यालय सबौर भी जीआई टैग के लिए प्रयासरत है.
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