Railway Signal System: रेलवे सिग्नल सिस्टम का उपयोग पटरी पर ट्रेनों के सुरक्षित और कुशलतापूर्वक परिचालन के लिए किया जाता है. इसके तहत ट्रेनों की आवाजाही को अच्छे से नियंत्रित करना संभव होता है. सिग्नल सिस्टम में तीन रंग की लाइटों का इस्तेमाल किया जाता है. जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल हैं. ऐसे में लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि जब लाल का मतलब ठहराव और हरा का मतलब चलना होता है, तो फिर पीला रंग की लाइट का क्या काम होता है. तो आइए रेलवे सिग्नल सिस्टम में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
दरअसल, रेलवे में सिग्नलिंग एक महत्वपूर्ण प्रणाली है, जो यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेनें सुरक्षित रूप से और कुशलता से चल सकें. सिग्नलिंग प्रणाली का उपयोग ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए किया जाता है.
रेलवे सिग्नल सिस्टम में लाल बत्ती का अर्थ है कि ट्रेन को रुकना है. इसक लाइट के जलने पर लोको पायलट को ट्रेन को पूरी तरह से रोकना होगा और आगे बढ़ने से पहले सिग्नल बदल जाने का इंतजार करना होता है.
पीली लाइट का रेलवे सिग्नलिंग में महत्वपूर्ण योगदान होता है. बता दें कि पीली बत्ती का मतलब होता है कि ट्रेन को धीमी गति से चलना है और आगे बढ़ने के लिए तैयार रहना है. सिग्नल में इस लाइट के जलने पर लोको पायलट को अपनी गति कम करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ट्रेन सुरक्षित रूप से आगे बढ़ सके.
रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम में हरा रंग का मतलब होता है कि ट्रेन को आगे बढ़ाया जाए. इस लाइट के दिखने पर लोको पायलट ट्रेन को सुरक्षित गति से आगे बढ़ाता है और अगले सिग्नल के इंतजार तक ट्रेन चलाता रहता है.
रेलवे सिग्नल सिस्टम के प्रयोग से ट्रेनों का सुरक्षित और कुशलतापूर्वक पटरी पर परिचालन होता है. इस सिस्टम की मदद से ट्रेनों की आवाजाही को अच्छे से नियंत्रित करना संभव हो पाता है. इसलिए रेलवे सिग्नल सिस्टम का होना बहुत जरूरी होता है.