Rohtak News: पाकिस्तान से भारत आए हंसदास ने बताया कि 23 जून 2005 में वह पाकिस्तान छोड़कर परिवार के साथ आ गए थे. पाकिस्तान में उनपर काफी अत्याचार हुए. काफिर तक कहा जाता था. यहां तक कि उनके नाम भी बदल दिए थे.
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Rohtak News: रोहतक के गांव मदीना में 20 साल पहले पाकिस्तान से आया एक परिवार अपने ऊपर हुए अत्याचारों के बारे में बात करते हुए भी सहम जाता है. पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे जुल्मों की दास्तां को बयां करते हुए परिवार के सदस्य भावुक हो गए और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
बदले गए नाम और कलमा पढ़ने पर किया जाता था मजबूर
पाकिस्तान से भारत आए हंसदास ने बताया कि 23 जून 2005 में वह पाकिस्तान छोड़कर परिवार के साथ आ गए थे. पाकिस्तान में उनपर काफी अत्याचार हुए. काफिर तक कहा जाता था. यहां तक कि उनके नाम भी बदल दिए थे. कलमा पढ़ने पर मजबूर किया जाता था और नमाज न पढ़ने पर यातनाएं दी जाती थी.
स्कूल में होता था भेदभाव
हंसदास ने बताया कि स्कूल में पढ़ने जब जाता था तो उसे जमीन पर बैठाया जाता था. मुसलमान बनने के लिए विवश करते थे. बड़े भाई का नाम लक्ष्मण दास था, जिसे लश्कर नाम दिया. स्कूल में शिक्षक ने कहा कि वह हिंदु नाम नहीं ले सकता, इसलिए लक्ष्मण का लश्कर कर दिया.
कांटो वाले डंडे से बुरी तरह पीटा
हंसदास ने बताया कि उसे नमाज पढ़ने के लिए मजबूर करते थे. जब उसने कहा कि नमाज पढ़नी नहीं आती तो काजी ने कांटो वाले डंडे से उसे बुरी तरह पीटा, जिससे सारा शरीर खून से लथपथ हो गया था. उनके पास बात मानने के अलावा कोई चारा भी नहीं था. नमाज नहीं आती थी, लेकिन उनके साथ जबरन बैठना पड़ता था.
रोज की नई कहानी और नए अत्याचार
हंसदास ने बताया कि पाक में हर रोज हिंदुओं के लिए एक नई कहानी होती है और नए अत्याचार उनके ऊपर किए जाते हैं. रोहतक से काफी मुसलमान वहां गए, जो हरियाणवी बोलते थे और उन्होंने काफी सहयोग किया. इसके बाद किसी तरह वह पाक छोड़कर भारत आ गएय. हंसदास ने बताया कि जब परिवार के साथ पाक से निकले तो उनसे पूछा कि कहां जा रहे हो. उन्होंने कहा कि मदीना जा रहे है. पाक के लोगों ने समझा कि मक्का मदीना. जब बस में बैठे तो एक व्यक्ति भागकर उनके पास आया और बोला कि कहां भाग रहे हो. जहां तुम जाओगे, एक दिन वहां भी हमारा ही राज होगा.
इशनिंदा कानून के तहत हिंदुओं को दे देते हैं फांसी
हंसदास ने बताया कि पाक में हिंदुओं की 8 साल की बेटी को वह उठा ले जाते और कहते कि यह मुसलमान हो गई. उसे धर्म का कोई पता नहीं होताय पाक के संविधान में अगर किसी लड़की ने यह आरोप लगा दिया कि इस हिंदु ने गलत नजर से देखा है तो उस पर इशनिंदा का कानून लगाकर फांसी की सजा दे देते हैं.
सीएए कानून के तहत मिली नागरिकता
हंसदास ने बताया कि 2005 में 10 परिवारों के 100 लोग भारत आए थे, जिनमें से 5 परिवार रतिया फतेहाबाद, 4 काहनौर व एक मदीना में आ गया. 2019 में सीएए कानून आया, जिसमें उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई. काहनौर में 10 लोगों को नागरिकता मिल चुकी है. फतेहाबाद में 33 में से 6 को मिली, बाकी को जल्दी मिल जाएगी. ऐलनाबाद में 450 में से 150 को नागरिकता मिल चुकी है.
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पाक स्कूल में आतंकवाद के लिए एकत्रित कर रहे कश्मीर फंड
हंसदास ने बताया कि जब स्कूल में पढ़ते थे तो कश्मीर फंड लिया जाता था. डॉक्टरों से भी कश्मीर फंड लेकर आतंक फैलाया जाता है. 2007 में उनका पासपोर्ट खत्म हो गया तो उन्होंने एसपी से कहा कि वह पाक का पासपोर्ट नहीं बनवाएंगे. हमारे पैसों से ही पाक आतंकवादियों को फंडिंग करता है.
कश्मीर में हुई आतंकी घटना दुखद
हंसदास ने बताया कि कश्मीर में जो आतंकी घटना हुई है, वह दुखद है. जब पाक के आतंकवादी भारत आकर हमले कर सकते हैं तो सोचों कि पाक में हिंदुओं की क्या स्थिति होगी. ऐसे आतंकवादियों को सजा मिलनी चाहिए. पाक में अपनी जमीन व मकान छोड़कर भारत आए तो उन्हें स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा है.
जिन्हें नागरिकता नहीं मिली, उनके लिए चिंता
हंसदास ने बताया कि मन में भय है कि जिन लोगों को भारत की नागरिकता नहीं मिली, उनके लिए चिंता बनी हुई है. 1947 में जब मारकाट हुई तो उनके 4 दादाओं में से दो पाक में रह गए और दो मदीना में आ गए. उनके रिश्तेदार यहां रहते थे, जिसके कारण वह यहां आए. उनकी शादी भी यहां आने के बाद ही हुई है.
INPUT: RAJ TAKIYA