Delhi News: हरकेश नगर में गरजा बुलडोजर, दुकानदारों की बरसों की मेहनत एक झटके में उजड़ी
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Delhi News: हरकेश नगर में गरजा बुलडोजर, दुकानदारों की बरसों की मेहनत एक झटके में उजड़ी

Harkesh Nagar Bulldozer Action: दिल्ली नगर निगम के इस अतिक्रमण विरोधी अभियान ने न सिर्फ सैकड़ों अनधिकृत दुकानों और झुग्गियों को मलबे में बदला है. बल्कि वहां रहने और काम करने वाले लोगों की बरसों की मेहनत, उम्मीद और रोजी-रोटी भी छीन ली. कई परिवारों के लिए यह एक सामान्य दिन नहीं था, बल्कि जिंदगी की सबसे काली सुबह बन गई.

Delhi News: हरकेश नगर में गरजा बुलडोजर, दुकानदारों की बरसों की मेहनत एक झटके में उजड़ी
Delhi News: हरकेश नगर में गरजा बुलडोजर, दुकानदारों की बरसों की मेहनत एक झटके में उजड़ी

Delhi Harkesh Nagar Bulldozer News: दिल्ली के हरकेश नगर में मंगलवार को एमसीडी ने अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. दरअसल, दुकानदारों का कहना है कि बिना किसी चेतावनी, बिना समय दिए सालों से दुकान चला रहे लोगों की मेहनत को पल भर में मलबे में बदल दिया गया. 40 साल से दुकान चला रहे दीपक की आंखों में आंसू थे. उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ आधे घंटे का समय मांगा था, लेकिन किसी ने नहीं सुना. बुलडोजर आया और सब कुछ तोड़ दिया. हमारा सामान भी नहीं निकालने दिया. हमारा फ्रिज तक तोड़ दिया. दीपक जैसे कई दुकानदारों के पास एमसीडी का वैध वेंडिंग सर्टिफिकेट था, फिर भी दुकानों को अवैध बताकर गिरा दिया गया.

वहीं दूसरी तरफ मिंटू गुप्ता नाम के एक दुकानदार का गुस्सा साफ था. उन्होंने कहा कि क्या एमसीडी को कानून का पालन नहीं करना चाहिए. कम से कम नोटिस तो देना चाहिए था. हमें पांच मिनट भी नहीं दिए गए. उन्होंने कानून को अपने हाथ में ले लिया. संजय गुप्ता ने बताया कि वह 2002 से यहां फलों की दुकान चला रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर दुकानें तोड़नी ही थीं, तो हमें पहले बताया जाता. हमारी जगह तो उजाड़ दी, अब कहां जाएं. श्याम सुंदर जो 1986 से इस इलाके में दुकान चला रहे थे उन्होंने गहरी निराशा में कहा कि हमने लोन लेकर यह दुकान चलाई थी. हमारे पास लाइसेंस था, फिर भी तोड़ दिया गया. अब बुढ़ापे में न काम करने की ताकत है न दोबारा शुरुआत करने की हिम्मत.

दुकानदारों का बड़ा सवाल यह भी है कि अगर एमसीडी को इन दुकानों को तोड़ना ही था, तो पहले वेंडिंग लाइसेंस क्यों जारी किया गया. यह सवाल न केवल व्यवस्था पर बल्कि प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है. इस पूरे घटनाक्रम में न तो एमसीडी की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया और न ही प्रभावित लोगों की सुनवाई हुई. दुकानदारों की बरसों की कमाई, उम्मीदें और सपने एक झटके में मलबे में बदल गए और पीछे रह गया सिर्फ दर्द, गुस्सा और असहायता का सन्नाटा है.

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