Noida News: SC का बड़ा फैसला, कांवड़ मार्ग पर दुकानों को QR कोड लगाने से नहीं रोक सकते
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Noida News: SC का बड़ा फैसला, कांवड़ मार्ग पर दुकानों को QR कोड लगाने से नहीं रोक सकते

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड में कावंड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर QR कोड लगाने को लेकर जारी निर्देश पर कोई दखल देने से इंकार कर दिया. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि मौजूदा नियमों के मुताबिक कावंड़ रूट पर मौजूद सभी होटल और रेस्टोरेंट लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को दिखाएंगे. 

Noida News: SC का बड़ा फैसला, कांवड़ मार्ग पर दुकानों को QR कोड लगाने से नहीं रोक सकते

Noida News: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड में  कावंड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर QR कोड लगाने को लेकर जारी निर्देश पर कोई दखल देने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि कांवड़ यात्रा खत्म होने वाली है, वो इस स्टेज पर इन निर्देशों की वैधानिकता पर कोई आदेश नहीं देगा. हालांकि  कोर्ट ने  साफ किया कि मौजूदा नियमों के मुताबिक कावंड़ रूट पर मौजूद सभी होटल और रेस्टोरेंट लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को प्रदर्शित करेंगे

धार्मिक पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता
डीयू प्रोफेसर अपूर्वानंद और सोशल एक्टिविस्ट आकार पटेल ने क्यूआर कोड को लेकर यूपी और उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी निर्देश पर रोक की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस नई अर्जी में कहा गया था कि QR कोड लगाने का मकसद दुकानदारों की धार्मिक आधार पर पहचान का खुलासा करने का है. यह सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल दिए आदेश की भावना के खिलाफ है, जिसमे कोर्ट में कहा था कि दुकानदारों को उनकी धार्मिक पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.

वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कही ये बात 
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कावड़ियों को उनकी धार्मिक मान्यता के हिसाब से खाना मिलना चाहिए पर खाने की क्वालिटी का दुकान के मालिक के नाम से कोई संबंध नहीं है. खाने की क्वालिटी का संबंध उस दुकान के मेन्यू कार्ड से है. मेन्यू कार्ड से कोई भी कावड़िया यह देख सकता है कि रेस्टोरेंट में मिल रहा खाना शाकाहारी है या नहीं. यह फैसला समाज को धर्म के आधार पर बांटने वाला है. ये समुदाय विशेष के  लोगों को अछूत बनाने की कोशिश है, जिसे कोर्ट को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. 

सोवन में परोसते हैं शाकाहारी खाना
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कावंड़ियों को अपनी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक रेस्टोरेंट चुनने का हक है. बहुत से लोग ऐसे रेस्टोरेंट में जाने से इंकार कर सकते हैं, जहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलता है. दरअसल इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुजेफा अहमदी ने दलील दी थी कि स्थानीय नियमों के मुताबिक कावंड़ यात्रा के दौरान सभी रेस्टोरेंट सिर्फ शाकाहारी खाना ही परोसते हैं, जो रेस्टोरेंट आम दिनों में  मांसाहारी खाना भी परोसते है, वो भी सावन  में कावंड़ यात्रा के दौरान सिर्फ शाकाहारी खाना ही परोसते हैं.

इस पर जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि ऐसी सूरत में कावंड़ियों को यह पता होना चाहिए कि जिस रेस्टोरेंट में वो खाना खा रहे हैं. वो क्या साल भर शुद्ध शाकाहारी खाना परोस रहा है या नहीं. जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि अगर कोई होटल साल भर सिर्फ शाकाहारी  भोजन परोस रहा है तो कोई दिक्कत नहीं है. ऐसी सूरत में नाम उजागर करने का सवाल नहीं उठेगा, लेकिन अगर कोई होटल सिर्फ कावंड़ यात्रा के  दौरान मांसाहारी खाना छोड़कर शाकाहारी खाना परोस रहा है तो ग्राहकों को इसकी जानकारी होनी चाहिए. कुछ तरीका होना चाहिए जिससे उनको यह पता लगे. 

इस पर हुजेफा अहमदी ने कहा कि ग्राहकों को यह जानने का हक है कि क्या रेस्टोरेंट अभी सिर्फ शाकाहारी खाना दे रहे है या नहीं. इससे पहले वो क्या मांसाहारी खाना परोस रहे थे या नहीं, इसका खुलासा करने की दुकानदार को जरूरत नहीं है. सुनवाई के दौरान जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि वो अनीश्वरवादी है, लेकिन लोगो को धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से खाने में इस्तेमाल किए जा रहे चीजों के बारे में जानने का हक है. बहुत से लोग धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से प्याज, लहसुन से भी परहेज करते हैं. 

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यूपी सरकार की दलील
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह  कावंड़ियों की धार्मिक भावना से जुड़ा मामला है. इस देश के बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने भाई के घर भी नहीं खाएंगे, अगर वहां मांसाहारी भोजन परोसा जाता हो. उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से जरूर निर्देश एफएसएसएआई जैसे केंद्र के कानून के मुताबिक जारी किए गए हैं. कावंड़ रूट पर कुछ ऐसे रेस्टोरेंट मिले, जो मांसाहारी खाद्य पदार्थ बेचते थे, लेकिन दावा करते थे कि वे केवल शाकाहारी भोजन बेच रहे हैं, जिससे बहुत सेश्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुईं और विवाद की स्थिति बनी रही. 

Input- Arvind Singh

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