छत्तीसगढ़ में है वो स्थान जहां मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध, आज भी है पौराणिक प्रमाण!
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छत्तीसगढ़ में है वो स्थान जहां मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध, आज भी है पौराणिक प्रमाण!

chaitra navratri special story: चैत्र नवरात्रि का पवित्र समय चल रहा है. ऐसे में आज हम आपको छत्तीसगढ़ में स्थित मां दुर्गा के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मां दुर्गा ने स्वंय आकर महिषासुर का वध की थी. 

छत्तीसगढ़ में है वो स्थान जहां मां दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध, आज भी है पौराणिक प्रमाण!

Kondagaon Maa Danteshwari Temple: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित बड़े डोंगर की पहाड़ी न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि इसकी पौराणिक गाथाएं भी इसे आस्था और श्रद्धा का केंद्र बनाती हैं. लोकमान्यताओं के अनुसार, यही वह स्थान है जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. आज भी इस पहाड़ी पर शेर के पंजे, भैंसे के सींग और माता के पदचिन्ह जैसी आकृतियां मौजूद हैं, जो इस कथा की पुष्टि करते हैं.

बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़े डोंगर
बड़े डोंगर, कभी बस्तर की राजधानी रह चुका है. यह स्थान महाराजा पुरुषोत्तम देव के शासनकाल में बस्तर राज्य की राजधानी बना, लेकिन इसका इतिहास इससे भी प्राचीन है. यह क्षेत्र आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है, जहां बस्तर दशहरे की परंपराएं बड़े डोंगर में भी देखने को मिलती हैं.

मां दुर्गा ने क्यों किया था महिषासुर का वध 
लोककथाओं के अनुसार, सतयुग में महिषासुर राक्षस ने इस देवलोक पर आक्रमण कर त्राहि-त्राहि मचा दी थी. तब देवताओं के आह्वान पर माता पार्वती ने देवी दुर्गा का रूप धारण किया और महिषासुर से भयंकर युद्ध किया. युद्ध के दौरान, महिषासुर अपनी जान बचाने के लिए जंगलों और पहाड़ों की ओर भागा, लेकिन बड़े डोंगर की पहाड़ी पर मां दुर्गा ने उसका अंत कर दिया. इसी युद्ध के अवशेष रूप में शेर के पंजे, भैंसे के सींग और मां के पदचिन्ह व माता के नयन पहाड़ी की चट्टानों पर उभरे हुए हैं, जहां आज भी पूजा-अर्चना की जाती है.

बड़े डोंगर का धार्मिक महत्व
बड़े डोंगर के पहाड़ों और जंगलों को 33 कोटि देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है. यह क्षेत्र बस्तर के लोगों के लिए गहरी आस्था और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है. पहले बस्तर की राजधानी बड़े डोंगर में होने के कारण माँ दंतेश्वरी का प्रमुख पर्व दशहरा भी यहीं से संचालित होता था.

जानिए मंदिर तक कैसे पहुंचे?
बड़े डोंगर, कोंडागांव जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिए दो मुख्य मार्ग हैं. पहला कोंडागांव से जुगानी होते हुए बड़े डोंगर. दूसरा राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से फरसगांव होकर बड़े डोंगर जा सकते हैं. यहां तक पहुंचने के लिए बस, टैक्सी और ऑटो की सुविधा भी उपलब्ध रहती है. पहाड़ी पर चढ़ाई करके मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

बड़े डोंगर की पहाड़ी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहर भी है. यह स्थान बस्तर के गौरवशाली इतिहास, आस्था और लोक परंपराओं का सजीव उदाहरण हैं. मां दंतेश्वरी का यह धाम हर भक्त को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करता है.

रिपोर्ट- चम्पेश जोशी

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी स्थानीय मान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित है. zee news इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. )

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