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अमेरिका में छत्तीसगढ़ी स्वाद का जादू! इस जिले से जमकर हो रही सप्लाई, जानें

Chhattisgarh Fish Demand in America: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित दुधावा जलाशय की मछलियों ने अब अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिलने लगी है. दुधावा जलाशय से पंगेसियस और तिलापिया मछलियों की पहली खेप हाल ही में अमेरिका भेजी गई है, जहां इन मछलियों को खूब पसंद किया जा रहा है. यह काम सिर्फ कांकेर का ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाने वाला साबित हो रहा है. मछलियों की ये खेप अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुसार तैयार की गई है, जिससे इसका स्वाद और गुणवत्ता दोनों ही बहुत बढ़िया माना जा रहा है.

 

केज कल्चर सिस्टम

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 केज कल्चर सिस्टम

इस क्षेत्र के जल संसाधन और मत्स्य विभाग के अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक, दुधावा जलाशय में केज कल्चर सिस्टम के जरिए मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है. इस तरह के उत्पादन से मछुआरों को नई तकनीकों का फायदा मिल रहा है और वे अब ज्यादा बेहतर गुणवत्ता वाली मछलियां तैयार कर पा रहे हैं. (PC: Meta AI)

 

निर्यात की संभावना

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निर्यात की संभावना

उन्होंने बताया कि इस मेहनत का फल यह हुआ कि पहली बार छत्तीसगढ़ की मछलियां अमेरिका के बाजार में पहुंचीं और वहां के लोगों ने इन्हें खूब सराहा. इसके साथ ही अब आने वाले समय में और भी देशों में मछली निर्यात की संभावना नजर आ रही है. इन मछलियों की सबसे खासियत है कि यह स्वाद में बहुत जबरदस्त होती है. इनमें कम वसा और कम कैलोरी होती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. 

रोजगार के नए अवसर

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रोजगार के नए अवसर

मछली निर्यात से कांकेर के मछुआरों की जिंदगी में भी बड़ा बदलाव आने वाला है. मत्स्य सहकारी समितियों के माध्यम से मछुआरों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही विभाग की तरफ से मछुआरों को उन्नत प्रशिक्षण और तकनीकी मदद दी जा रही है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार मछलियों का उत्पादन कर सकें. 

 

नील क्रांति योजना

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 नील क्रांति योजना

इस काम में नील क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की भी बड़ी भूमिका रही है. इन योजनाओं के तहत दुधावा जलाशय में करीब 240 केज कल्चर बनाए गए हैं, जिनसे औसतन प्रति केज चार टन तक मछली उत्पादन हो रहा है.

140 टन का उत्पादन

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140 टन का उत्पादन

इस बार दुधावा जलाशय से कुल 140 टन अतिरिक्त मछलियों का उत्पादन हुआ, जिन्हें इन्सुलेटेड वाहनों के जरिए कोलकाता ले जाया गया. वहां मछलियों को प्रोसेस कर फिलेट का रूप दिया गया और फिर अमेरिका भेजा गया. तिलापिया मछली खासतौर पर अपने पोषण तत्वों की वजह से विदेशों में बहुत पसंद की जाती है, क्योंकि इसमें प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है और यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है. इस सफलता से छत्तीसगढ़ की मछलियों की मांग और बढ़ेगी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा मिलेगी.

निर्यात को बढ़ावा

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निर्यात को बढ़ावा

यह पहल न सिर्फ मछलियों के निर्यात को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय मछुआरों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उनके जीवन स्तर को भी बेहतर बना रही है. दुधावा जलाशय की इस उपलब्धि से साबित होता है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े स्तर पर प्रगति की जा सकती है. अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में और ज्यादा मछलियां विदेशों तक पहुंचेंगी और छत्तीसगढ़ का नाम विश्व के नक्शे पर चमकता रहेगा.

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