Barmer News: बाड़मेर का धारासर गांव आज मातम की चादर ओढ़े बैठा है. विमला की दर्दनाक मौत के बाद दोनों शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया. हादसे के बाद बच्चे स्कूल आने से डर रहे हैं.
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Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर का धारासर गांव आज मातम की चादर ओढ़े बैठा है. 8 साल की विमला, जो सुबह मां की गोद से हंसती-खिलखिलाती स्कूल गई थी, अब सिर्फ यादों में सिसक रही है. एक जर्जर दीवार ने उसकी सांसें छीन ली और साथ ही एक परिवार की जिंदगी का उजाला. तीन दिन से घर में चूल्हा नहीं जला, आंखों से आंसुओं का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा. ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की बेरहमी का वो काला सच है, जो हर मासूम की जान को खतरे में डाल रहा है.
मां ने बिलखते हुए कहा कि मां की लाड़ो... मां की जान... जिस मां ने उसे अपने हाथों से तैयार किया था. उसकी छोटी चोटी बनाई, कहा कि स्कूल से जल्दी आना, तेरे लिए रोटी बनाऊंगी लेकिन वो दीवार, उसने बच्ची को निगल लिया. मेरे सीने में सांसें हैं लेकिन जिंदगी चली गई. कौन लौटाएगा मुझे मेरी विमला. यही शायद वो कहना चाहती हैं, लेकिन आवाज साथ नहीं दे रही.
विमला के पिता मजदूरी करते हैं ताकि बेटी पढ़े, कुछ बने लेकिन स्कूल ने पिता के सपनों को मलबे में दफना दिया. वो दीवार टूटी हुई थी, सबको दिखती थी फिर भी किसी ने क्यों नहीं रोका?
मासूम विमला के दादाजी पूरी तरह टूट चुके हैं. विमला अपने दादा के पास दौड़कर आती थी, कहती थी कि दादाजी, मुझे गोदी में उठाओ. अब ये बूढ़ी हड्डियां किसे उठाएं? उसकी हंसी मेरे कानों में गूंजती है लेकिन आंखें उसे ढूंढती रह जाती हैं.
धारासर स्कूल, जहां मात्र 17 बच्चे नामांकित हैं और 2 शिक्षक तैनात थे. विमला की दर्दनाक मौत के बाद दोनों शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया. ज़ी मीडिया की टीम जब स्कूल पहुंची, तो वहां सिर्फ एक छात्र मौजूद था. पता चला, हादसे के बाद बच्चे स्कूल आने से डर रहे हैं. कार्यवाहक शिक्षक से बात हुई, जिनका कहना था कि हालात अब भी खतरनाक हैं. जर्जर भवन की दीवारें चीख-चीखकर बता रही हैं कि अगर ध्यान नहीं दिया गया, तो ये भविष्य में भी किसी मासूम की जान ले सकता है.