Bhilwara News: भीलवाड़ा के लक्ष्मण भील को घर लौटने की कीमत जानलेवा हमले से चुकानी पड़ी. दबंगों ने पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा, जिससे उसके दोनों पैर बेकार हो गए. 25 दिनों से जिंदगी और मौत से जूझ रहा लक्ष्मण न्याय की राह देख रहा है, लेकिन प्रशासन खामोश है.
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Rajasthan News: भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के परासोली गांव निवासी लक्ष्मण भील की कहानी इंसानियत को झकझोर देने वाली है. परिवार के भरण-पोषण के लिए महाराष्ट्र के लातूर में कुएं खोदने गए लक्ष्मण को जब घर लौटने की इच्छा हुई, तो उसे बेरहमी से पीटा गया. अब वह 25 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है, लेकिन प्रशासन और समाज से उसे कोई राहत नहीं मिली.
लक्ष्मण को उसी गांव के तेजू राम गुर्जर और सुरेश गुर्जर कुएं खुदवाने के लिए महाराष्ट्र लेकर गए थे. जब उसने वापस घर लौटने की बात कही, तो इन दबंग ठेकेदारों ने उसे नीम के पेड़ से बांधकर पट्टों से इतनी बेरहमी से पीटा कि उसके दोनों पैर काम करना बंद कर दिए. सात दिनों तक वह बेहोश पड़ा रहा. किसी तरह उसे राजस्थान वापस लाया गया, लेकिन निर्धन परिवार के पास इलाज कराने के पैसे नहीं थे. अब उसके माता-पिता लाचार होकर अपने बेटे को तड़पते देख रहे हैं.
एक फरवरी को हुई इस निर्मम घटना के बाद जब परिजनों ने आसींद थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई, तो पुलिस ने कार्रवाई करने की बजाय आंखें मूंद लीं. उधर, दबंग ठेकेदारों ने लक्ष्मण के घर पहुंचकर धमकी दी कि रिपोर्ट वापस नहीं ली, तो और लोगों के भी हाथ-पैर तोड़ दिए जाएंगे. डर के बावजूद परिवार ने 20 फरवरी को फिर से रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
अब सवाल उठता है कि आखिर गरीब दलित लक्ष्मण के साथ हुई इस बर्बरता पर पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या थानाधिकारी हंसपाल किसी दबाव में हैं, या फिर गरीबों की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं?
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Reported By- मोहम्मद खान