Bikaner News: बीकानेर में सप्ताहभर चलने वाले भंग सम्मेलन में देशभर से भंग प्रेमी जुटे. शिव भक्तों ने पारंपरिक तरीके से भंग तैयार कर भोलेनाथ को अर्पित की और जमकर आनंद लिया. भंग पीते ही भजनों और नृत्य का दौर शुरू हुआ, जहां बुजुर्गों ने भी जवानों को पीछे छोड़ दिया!
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Rajasthan News: राजस्थान के बीकानेर में होली का उल्लास इस बार खास अंदाज में देखने को मिल रहा है. यहां भंग प्रेमियों के लिए भंग सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जो पूरे एक सप्ताह तक चलेगा. जहां होली का खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है, वहीं भंग का नशा इस उत्सव को और भी यादगार बना रहा है. मुंबई, कोलकाता, जोधपुर, नागौर समेत कई शहरों से होली के रसीले शौकीन बीकानेर पहुंच रहे हैं और इस अनोखे आयोजन का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं.
भंग का रंग और भोले का संग
होली का असली मजा भंग के बिना अधूरा माना जाता है और बीकानेर के रसिकों ने तो इसके लिए भंग सम्मेलन ही आयोजित कर डाला है. यहां पारंपरिक मंत्रोच्चार के साथ भंग को सिल-बट्टे पर घोटकर गोले बनाए गए. इसके बाद भगवान भोलेनाथ के जयकारों के साथ भंग को छानने की प्रक्रिया शुरू हुई. भंग को और असरदार बनाने के लिए इसमें दूध, बादाम, नेजे, पिस्ता और सूखे मेवे मिलाए गए. जैसे ही भंग तैयार हुई, सबसे पहले इसे भोलेनाथ को अर्पित किया गया.
इसके बाद शुरू हुआ भंग पीने का सिलसिला! युवा से लेकर बुजुर्ग तक, सभी इस उत्सव का आनंद लेने में जुट गए. "भंग का रंग जमा हो चकाचक और फिर लो पान चबाय, फिर ऐसा झटका लगे कि पुनर्जन्म हो जाए" – यह नजारा बीकानेर की गलियों में हर ओर देखने को मिल रहा है.
भंग पीते ही गूंजे भोलेनाथ के भजन
भंग हलक से उतरी नहीं कि भोलेनाथ के भजन गूंजने लगे. रसिकों ने जमकर नृत्य और कीर्तन किया. बुजुर्गों ने भी जवानों को भंग पीने में पीछे छोड़ दिया और पूरे माहौल को भक्ति और उमंग से सराबोर कर दिया.
एक सप्ताह तक चलेगा भंग सम्मेलन
यह सम्मेलन बीकानेर के अलग-अलग स्थानों पर पूरे सप्ताह तक चलेगा, जहां हर दिन नए स्थान पर भंग प्रेमी इकट्ठा होकर इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे. यहां न सिर्फ बीकानेर, बल्कि नागौर, कोलकाता, मुंबई, जोधपुर और आसपास के इलाकों से भी भंग प्रेमी पहुंच रहे हैं.
भंग प्रेमियों को सालभर रहता है इस पल का इंतजार
होली के रसियों के लिए यह आयोजन सालभर बेसब्री से प्रतीक्षित रहता है. जब प्रसाद के रूप में भंग पीने को मिले, तो फिर उन्हें और क्या चाहिए! यह होली और भक्ति का अद्भुत संगम है, जो बीकानेर की परंपरा को और भी अनोखा बना रहा है.
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