Rajasthan News: महाशिवरात्रि पर जमीं से लेकर आसमां तक हर-हर महादेव का जयघोष सुनाई दिया. अलसुबह से लेकर देर शाम तक मंदिरों में घंटे घड़ियाल की ध्वनि के बीच भोलेनाथ का अभिषेक-पूजन का दौर चला. आदिदेव महादेव की साधना के महापर्व महाशिवरात्रि पर छोटीकाशी में भक्त शिव भक्ति में लीन रहे.
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Rajasthan News: शिव-शक्ति के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि पर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज रही छोटीकाशी में हर तरफ शिव भक्तों में जोश और उत्साह नजर आया. शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व श्रद्धा भाव के साथ धूमधाम से मनाया गया. भोर होते ही शिवालयों में शिवभक्त ‘हर हर महादेव, ‘जय भोले, ‘भोले नाथ की जय, ‘बम-बम भोले उद्घोष सुनाई दिए. भोलेनाथ के जयघोष के बीच शिवालयों में रुद्राभिषेक, जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक का क्रम अलसुबह से देर शाम तक अनवरत जारी रहा. शिवालयों के बाहर मेले से माहौल में भक्ति रस की गंगा में हर कोई गोता लगाता नजर आया. आकर्षक रंग-बिरंगी रोशनी से सजे शिवालयों में दिनभर अभिषेक, भजन संकीर्तन और शिव विवाह के गीत गाए गए. गुलाबी नगरी में भी शिवालयों में शिव भक्तों की अपार श्रद्धा देखने को मिली.
महादेव की साधना का महोत्सव महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को विशेष योग-संयोग में मनाया गया. इस बार सालों बाद महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, बुध और शनि तीनों ग्रह कुंभ राशि में विराजमान रहे. वैशाली नगर स्थित झारखंड महादेव मंदिर में सुबह 4:30 बजे से श्रद्धालुओं के लिए पट खुले रहे. शाम चार बजे तक भक्तों ने कतारों में लगकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया. थाईलैंड-बेंगलुरु से मंगाए फूलों से झांकी सजाई गई. 200 से अधिक स्वयंसेवकों व्यवस्थाओं को संभाले रखा. बुजुर्गों के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था रहीं.
चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त से ही भक्तों ने भोलेनाथ का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया. यह सिलसिला शाम तक जारी रहा. इसके बाद विशेष झांकी सजाई गई. चमत्कारेश्वर महादेव (झोटवाड़ा रोड), जंगलेश्वर महादेव (बनीपार्क), रोजगारेश्वर महादेव (छोटी चौपड़), द्वादश ज्योतिर्लिंग ईश्वर सदाशिव महादेव मंदिर (कूकस) में भी सुबह से भक्त दर्शनों के लिए पहुंचे. सभी शिवालयों में भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार कर झांकी सजाई गई.
गौरतलब हैं कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही भगवान शिव-पार्वती का विवाह हुआ था. जो व्यक्ति महाशिवरात्रि का विधिवत पूजन, रात्रि जागरण और उपवास करता है उनका पुनर्जन्म नहीं होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि शिव पूजा के साथ व्रत कर यथाशक्ति दान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है.
महाशिवरात्रि पर हर हर महादेव, बम बम भोले और ओम नमः शिवाय के स्वरों की गूंज, घटिया की टंकार और झालर की झंकार शिवालयों में रही. महाशिवरात्रि पर शिवालयों में और सुबह से प्रारंभ हुआ महादेव का अभिषेक पूजन और व्रत उपासना का क्रम देर शाम तक चला. शिव भक्तों ने भोलेनाथ का दूध, दही, शहद,शक्कर, घी, पंचामृत, गन्ने का रस से अभिषेक किया और पुष्प, केसर, चंदन से शिव का श्रृंगार किया. भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिरों में सूर्योदय से पहले ही दर्शन के लिए भक्त कतारों में लग गए. तड़के से ही मंदिरों में भजनों और पूजा-अर्चना के कार्यक्रम शुरू हो गए.
वहीं इस त्योहार पर कहीं मेले का आयोजन किया गया, तो कहीं शिव-पार्वती के विवाह की रस्म मनाई गई. साथ ही भोलेनाथ की फूलों की विशेष झांकी सजाई गई और श्रद्धालुओं को ठंडाई का वितरण किया गया. ब्रह्म मुहूर्त में शिवालयों के पट खुलते ही श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया. मंदिरों में शिव भक्तों का रेला उमडता रहा. विशेष योग-संयोग में भोलेनाथ की पूजा की गई. पंचामृत अभिषेक के साथ ही भक्त प्रयागराज स्थित त्रिवेणी व हरिद्वार से मंगाए पवित्र जल से अभिषेक किया. भोलेनाथ कहीं बाबा बर्फानी के रूप में नजर आए तो कहीं कैलाश पर्वत पर ध्यान मुद्रा में दर्शन दिए. शिवालयों में चार प्रहर की पूजा की गई. वर्ष में एक बार खुलने वाला मोती डूंगरी की पहाड़ी पर स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर इस साल भी बंद रहा. हालांकि, भक्तों ने सिटी पैलेस स्थित राजराजेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन कर किए. चमत्कारेश्वर महादेव व खोले के हनुमान जी स्थित शिवालय में भक्त अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों के दर्शनों के लिए पहुंचे. यहां शिवजी की प्रतिमा अर्धनारीश्वर रूप में है.
बहरहाल, जयपुर की स्थापना से यहां कदम-कदम पर शिव मंदिर होने के कारण इसे छोटी काशी कहा जाता है. रियासत काल से शुरू हुआ शिव भक्ति का यह सिलसिला शहर में आज भी देखा जा सकता है. यहां हजारों भक्तों के दिन की शुरुआत शहर के प्रसिद्ध और चमत्कारिक माने जाने वाले इन शिव मंदिरों में दर्शन के बाद शुरू होती है.
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