Rajasthan Police Boycott Holi Celebration: राजस्थान में पुलिसकर्मियों के बीच होली के एक दिन बाद होली खेलने की एक परंपरा रही है, लेकिन इस बार कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर पद तक के पुलिसकर्मियों ने होली का बहिष्कार करने का फैसला किया है ¹. यह फैसला पुलिसकर्मियों के बीच एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वे अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और समर्पण का प्रदर्शन कर रहे हैं.
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Rajasthan Police Boycott Holi Celebration: पूरे देश में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है, और राजस्थान में भी यह त्योहार हर्ष और उल्लास से मनाया गया. पुलिस ने होली के दौरान किसी भी तरह की घटना को रोकने के लिए मुस्तैदी से अपना काम किया. राजस्थान पुलिस में होली के दूसरे दिन होली मनाने का रिवाज है, लेकिन इस बार कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक सभी पुलिसकर्मियों ने होली का बहिष्कार करने का फैसला किया है. यह फैसला पुलिसकर्मियों के बीच एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वे अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और समर्पण का प्रदर्शन कर रहे हैं.
राजस्थान पुलिस के पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू ने बताया कि राजस्थान पुलिस हमेशा प्रतिबद्धता के साथ अपना कर्तव्य निभाती है ताकि लोग इस त्योहार को पारंपरिक उल्लास के साथ मना सकें. इस बार राजस्थान पुलिस में होली के दूसरे दिन होली मनाने का रिवाज नहीं मनाया गया, बल्कि कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक सभी पुलिसकर्मियों ने होली का बहिष्कार करने का फैसला किया है. यह फैसला पुलिसकर्मियों के बीच एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वे अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और समर्पण का प्रदर्शन कर रहे हैं.
राजस्थान पुलिस कर्मियों ने होली का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसका कारण वेतन विसंगति और डीपीसी की मांग को लेकर निचले पद के पुलिसकर्मियों में रोष है. यह फैसला पुलिसकर्मियों के बीच एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वे अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूकता और समर्पण का प्रदर्शन कर रहे हैं. राजस्थान पुलिस में होली के दूसरे दिन होली मनाने का रिवाज है, लेकिन इस बार कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक सभी पुलिसकर्मियों ने होली का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
ये भी पढ़ें- Kota News: पाटली नदी का पुनर्जीवन, 40 गांवों की 50 हजार बीघा जमीन होगी सिंचितक्या है वेतन विसंगति
राजस्थान पुलिस में वेतन विसंगति का मुद्दा गरमाया हुआ है. दरअसल, राजस्थान पुलिस में सिपाही, राजस्व विभाग में पटवारी और प्रशासनिक सेवा में कनिष्ठ लिपिक का प्रारंभिक वेतनमान 5200 से 20200 और ग्रेड पे 1900 रुपए है, लेकिन पदोन्नति के बाद वेतन में बड़ा अंतर है. 9 साल की सेवा पूरी करने पर पहली पदोन्नति के बाद पटवारी की ग्रेड पे 3200 रुपए, कनिष्ठ लिपिक की 2400 रुपए हो जाती है, जबकि सिपाही की ग्रेड पे महज 2000 रुपए ही होती है. यह वेतन विसंगति पुलिसकर्मियों में असंतोष का कारण बनी हुई है.
राजस्थान में पुलिसकर्मियों की वेतन विसंगति का मुद्दा एक बार फिर सामने आया है. बताया जा रहा है कि 27 साल की सेवा पर तीसरी पदोन्नति लेकर सिपाही उप निरीक्षक बन जाता है, लेकिन उसकी ग्रेड पे महज 3600 रुपए होती है. वहीं, पटवारी तहसीलदार बनकर 4200 रुपए और कनिष्ठ लिपिक कार्यालय अधीक्षक बनकर 3600 रुपए की ग्रेड पे लेता है. यही हाल लगभग कारागार सेवा के कर्मचारियों का भी है. यह वेतन विसंगति पुलिसकर्मियों में असंतोष का कारण बनी हुई है.