Khatu Shyam Ji: राजस्थान की खाटू नगरी में वार्षिक फाल्गुनी लक्खी लगा हुआ है. ऐसे में श्रद्धा और आस्था का ज्वार उमड़ा हुआ है. इस दौरान एक शाम भक्ति 1600 कील पर लेट करके श्याम दरबार पेट पलायन करते हुए पहुंच रहा है.
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Khatu Shyam Ji: खाटू श्याम बाबा का वार्षिक फाल्गुनी लक्खी मेल प्रमाण पर है. मेले के सातवें दिन श्रद्धालुओं के जाते खाटू श्याम पहुंच रहे हैं. खाटू श्याम जी में श्रद्धा और आस्था का ज्वार उमड़ा हुआ है. शाम भक्त पेट पलायन करते हुए आ रहे हैं. वहीं, एक शाम भक्ति 1600 कील पर लेट करके श्याम दरबार पेट पलायन करते हुए पहुंच रहे हैं.
ये मध्यप्रदेश के मुरैना के रहने वाले सोनू शिवहरे हैं. सोनू बाबा श्याम के दर्शन के लिए 18 किलोमीटर तक दंडवत करेंते हुए खाटू धाम आ रहे हैं. दंडवत भी समतल जमीन पर लेट कर नहीं बल्कि 1600 नुकीली कीलों पर है. ये ही अटूट भक्ति है. श्याम प्रेमी हाथ में 15 फीट का ध्वज थामे बाबा श्याम के जयकरे लगाते चल रहे हैं. रींगस से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर मध्यप्रदेश के मुरैना के रहने वाले सोनू शिवहरे पेट पलायन करते हुए आ रहे हैं.
सोनू लकड़ी के बनाए हुए पाटे पर लगी 1600 कीलों पर पेट पलायन करते हुए बाबा श्याम के मंदिर की तरफ आ रहे हैं. सोनू पिछले पांच साल से बाबा के दरबार में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. सोनू ने बताया कि मध्यप्रदेश से रींगस तक गाड़ी से आते हैं. इसके बाद यहां से पैदल यात्रा करते हैं.
मन्नत के बारे में पूछने पर बोले कि कुछ मांगने की जरूरत नहीं पड़ती. बाबा बिना मांगे सब दे देते हैं. उन्होंने बताया कि मन में भाव आया कि कठिन दंडवत करके बाबा के दरबार में पहुंचना है. ऐसे में कीलों का पाटा तैयार करवाया. सोनू इस पाटे पर रोज 2 से 3 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं. दस मार्च तक वो खाटू धाम पहुचेंगे. उनसे पूछा कि शरीर पर कीलें चुभती होंगी? उनका जवाब था- दर्द तो बाबा हर लेते हैं, कोई फर्क नही पड़ता.
उनके साथ उनका साथी कृष्ण भी साथ चल रहा है, जो कि कीलों के पाटे को आगे खिसकाता है. सोनू को दंडवत करते देख कई लोगों ने उनके साथ सेल्फी भी ले रहे हैं.