नवाबों के शहर लखनऊ के आम देश में ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हैं.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में यूपी में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन होता है और लखनऊ इसमें नंबर वन है. लखनऊ के मलिहाबाद में दशहरी आम का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है.
खैर हम यहां बात ज्यादा उत्पादन की नहीं कर रहे हैं. बल्कि हम आपको बताने जा रहे हैं मलिहाबाद के ऐसे पेड़ के बारे में जिस पर 300 से ज्यादा किस्म के आम लगते हैं. सुनने में यह बात भले ही चौंकाने वाली लगे लेकिन यह हकीकत है.
300 से ज्यादा किस्म की पैदावार करने वाले इस पेड़ को ईजाद किया है. लखनऊ के कलीम उल्लाह खान ने. कलीम उल्लाह खान अपने इस अनोखे पेड़ की वजह से 'मैंगो मैन' के नाम से भी जाने जाते हैं.
'द बेटर इंडिया' की रिपोर्ट में कलीम उल्लाह खान बताते हैं कि उन्होंने इस पेड़ को इस काबिल ग्राफिटिंग की तकनीक से बनाया.इस अनोखे पेड़ को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं और इसकी खासियत देख हैरान रह जाते हैं.
कलीम उल्लाह खान कोई कृषि विज्ञानी या ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं.सातवीं क्लास में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया था, और उसके बाद लखनऊ के मलिहाबाद में लगे अपने परिवार के आमों के बाग की देखभाल करने लगे.
कलीम उल्लाह खान की उम्र अब 84 साल है लेकिन उन्होंने अपनी विज्ञानी और उन्नतिशील सोच के बदौलत इस पेड़ को 17 वर्ष की उम्र में ही ईजाद कर लिया था. इस आम के पेड़ पर साल भर अलग-अलग किस्म के आम लगते हैं.
कलीम उल्लाह बताते हैं कि इस पेड़ पेड़ केसर, दशहरी, तोतापरी, अल्फांसों और कई दु्र्लभ किस्म के आम आते हैं. यह पेड़ ग्राफ्टिंग तकनीक का अद्भुत नमूना है,जिसमें एक ही पेड़ की शाखाओं पर कई वैरायटी को जोड़ा गया है.
कलीम उल्लाह खान को अपनी इस प्रगतिशील और उन्नत सोच ने उन्हें देश विदेश में प्रसिद्धी दिलाई है. कलीम उल्लाह को अपने इस अनोखे प्रयोग के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पद्मश्री से सम्मान भी मिल चुका है.
आम के शोध पर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बन चुकी कलीमउल्लाह खान की नर्सरी में हर साल एक नई वैरायटी का आम उगाया जाता है. नई वैरायटी का नाम वो देश विदेश की नामी हस्तियों के नाम पर रखते हैं. मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या की सुंदरता से प्रेरित होकर उन्होंने एक आम की वैरायटी का नाम ऐश्वर्या रखा है तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कलीम उल्लाह की नर्सरी में 'नमो' आम भी है. इसके अलावा योगी आम, मुलायम आम, अमिताभ आम, सचिन आम, डॉ. कलाम आम, यहां तक कि निर्भया और कोरोना वॉरियर्स के नाम पर भी किस्में तैयार की गई हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.