Unique Village of Uttar Pradesh:उत्तर प्रदेश, देश का सबसे बड़ा राज्य है. जहां 75 जिले हैं. यहां के हर हिस्से की अपनी खासियत है. ऐसा ही एक गांव सहारनपुर में है, जो धार्मिक मान्यताओं से घिरा हुआ है. यहां के मंदिरों में देशभर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं.
सहारनपुर का महाभारत कालीन गांव जड़ौदा पांडा भी काफी फेमस है. इस गांव में बाबा नारायण दास मंदिर की महत्ता देशभर में है. बाबा के वंश से जुड़े 12 गांवों जड़ौदा पांडा, किशनपुरा, जयपुर, शेरपुर, घिसरपड़ी, किशनपुर, चरथावल, खुशरोपुर, मोगलीपुर, चोकड़ा, घिस्सूखेड़ा, न्यामू के ग्रामीण देवता मानते हैं.
इन सभी गांवों पर बाबा नारायण दास की ऐसी कृपा है कि यहां अगर किसी को जहरीला सांप काट लेता है, तो उनको सांप के काटने का जरा भी असर नहीं होता और न ही उनकी मौत होती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 700 साल पहले ग्राम जड़ौदा पांडा निवासी उग्रसेन और माता भगवती के घर बाबा नारायण दास का जन्म हुआ था.
कहा जाता है कि बाबा नारायण दास बाबा नारायण दास श्री पंचायती उदासीन अखाड़े से जुड़े हुए थे और शिव भक्त थे और उन्होंने कई जगहों पर तपस्या की थी. बाबा ने अपनी 80 बीघा जमीन शिव मंदिर में दान दी थी. इस महाभारत कालीन शिव मंदिर के पास साधना के दौरान वह अपने सेवक, घोड़े, कुत्ते के साथ धरती मां की गोद में समा गए थे.
कहते हैं यहां बाबा की समाधि बना दी गई थी, जो कि आज भी है. इस समाधि पर दूर-दूर से लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं. दावा है कि यहां आने वाले की हर मनोकामना पूरी होती है. ग्रामीण पंडित का दावा है कि आज तक हमने ऐसा नहीं सुना कि किसी को सांप ने काटा हो और उसकी मौत हो गई हो.
पंडित का दावा है कि बाबा नारायण दास की 12 गांवों पर खास कृपा है. सांप काटने के बाद भी किसी को कोई दवा लेने की जरुरत नहीं पड़ती. यहां बाबा नारायण दास का समाधि स्थल है और इस गांव की एक दिव्य शक्ति है. यहां पहले बांस का वन था. बाबा के समाधि स्थल को जुड़ कहा जाता था. इसी वजह से मंदिर को भी जुड़ मंदिर कहते हैं.
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