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उत्तराखंड में बनेगा देश का सबसे लंबा रोपवे, आसमान से दिखेगा मसूरी का नजारा, सवा घंटे की चढ़ाई होगी मिनटों में

Dehradun Hindi News: उत्तराखंड के मसूरी जाने वालों पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है. आपको बता दें कि जहां देहरादून और मसूरी जाने से करीब सवा घंटे का समय लगता है. अब केवल  20 मिनट ही समय लगेगा. आइए आपको बताते हैं कि ये देश का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे कब तक बनकर तैयार हो जाएगा. 

देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना

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देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना

देश का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे देहरादून और मसूरी के बीच बनाया जा रहा है. इसकी कुल लंबाई 5.2 किलोमीटर होगी और यह यात्रियों को केवल 20 मिनट में मसूरी पहुंचाएगा. वर्तमान में यह दूरी सड़क मार्ग से तय करने में करीब सवा घंटे का समय लगता है. 

मोनो-केबल गोंडोला तकनीक पर आधारित

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मोनो-केबल गोंडोला तकनीक पर आधारित

यह रोपवे अत्याधुनिक मोनो-केबल डिटैचेबल गोंडोला सिस्टम पर आधारित होगा. इससे यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा. इस तकनीक में केबल से जुड़े गोंडोला कैबिन स्वतः ही स्टेशन पर धीमे हो जाते हैं, जिससे चढ़ने और उतरने में आसानी होती है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

यह रोपवे मसूरी आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद सुविधाजनक होगा. सड़क मार्ग पर अक्सर लगने वाले जाम और समय की बर्बादी से बचते हुए, पर्यटक कम समय में पहाड़ों की रानी मसूरी का आनंद ले सकेंगे. इससे पर्यटन उद्योग को भी बड़ा फायदा मिलेगा.

सहयोगी कंपनियों का कंसोर्टियम

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सहयोगी कंपनियों का कंसोर्टियम

इस परियोजना को मसूरी स्काई कार प्राइवेट लिमिटेड बना रही है, जो कि FIL इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, फ्रांस की पोमा एसएएस और एसआरएम इंजीनियरिंग एलएलपी के कंसोर्टियम का हिस्सा है. यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग इस परियोजना को विश्वस्तरीय गुणवत्ता प्रदान करेगा.

उच्चतम बिंदु पर पहुंचने की क्षमता

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उच्चतम बिंदु पर पहुंचने की क्षमता

यह रोपवे लगभग 1,000 मीटर की ऊंचाई तक जाएगा और यह इसे दक्षिण एशिया का सबसे लंबा पैसेंजर रोपवे बनाएगा. निर्माण पूरा होने के बाद यह रोपवे विश्व के सबसे लंबे रोपवे में शामिल होगा, जिससे भारत की तकनीकी प्रगति का भी प्रदर्शन होगा.

यमुनोत्री रोपवे परियोजना भी शामिल

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यमुनोत्री रोपवे परियोजना भी शामिल

इस कंसोर्टियम को यमुनोत्री रोपवे परियोजना भी मिली है, जो खरसाली से यमुनोत्री तक 3.8 किलोमीटर लंबी होगी. इससे हज़ारों तीर्थयात्रियों को कठिन पहाड़ी मार्ग पर चलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और यात्रा काफी सुगम हो जाएगी. यह परियोजना 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है.

Disclaimer

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Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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