भागीरथी नदी की सहायक नदी के रूप में जाने जानी वाली खीरगंगा उत्तरकाशी जिले में बहती हैं. खीरगंगा नदी श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलती है. खीरगंगा के बारे में कहा जाता है कि इस नदी का पानी इतना स्वच्छ और साफ है कि यह दूध या खीर जैसा दिखता है.
यही वजह है कि इसका नाम खीरगंगा नदी रखा गया है. खीरगंगा नदी विनाशकारी बाढ़ के लिए जानी जाती है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहां तपस्या की थी.
कार्तिकेय ने ही माता पार्वती के लिए दूध की एक धारा प्रवाहित की थी, जो खीर के समान थी. बाद में खीरगंगा नदी की धारा को पानी में बदल दिया गया. ताकि इसका दुरुप्रयोग न हो सके.
खीरगंगा नदी पहले भी रौद्र रूप दिखा चुकी हैं. 19वीं सदी में आई भीषण बाढ़ ने 200 से ज्यादा मंदिरों का नामों निशान मिटा दिया था. इसके बाद साल 2013 और 2018 में भी खीरगंगा नदी ने भारी तबाही मचाई थी.
उत्तरकाशी दो बड़ी नदियों गंगा और यमुना का उदगम स्थल माना जाता है. 1978 तक खीर गंगा उत्तरकाशी से बहती थीं. इसके बाद धीरे-धीरे सबकुछ बहाते हुए भागीरथी में जा मिलीं.
खीरगंगा नदी का पानी अत्यंत साफ होता है, यह ग्लेशियर और घने जंगलों से होकर बहती हैं. चूना मिश्रित न होने के कारण इसे खीर जैसे दूध की तरह शुद्ध कहा जाता है.
धराली उत्तरकाशी जिले में बसा है. गंगोत्री धाम से धराली की दूरी करीब 20 किलोमीटर दूर है. धराली बाजार 3100 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यह अपनी प्राकृति सुंदरता के लिए फेमस है.
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