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उत्तराखंड की सबसे लंबी नदी कौन सी है? गंगा-यमुना भी हैं इसके आगे छोटी

उत्तराखंड राज्य में कई प्रमुख नदियां बहती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे लंबी नदी कौन सी है. यह नदी लगभग 350 किलोमीटर लंबी है. आइए जानते हैं इस नदी में इतिहास के बारे में....

कौन-सी है सबसे लंबी नदी

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कौन-सी है सबसे लंबी नदी

उत्तराखंड की सबसे लंबी नदी काली नदी है, जिसे शारदा या महाकाली नदी के नाम से भी जाना जाता है. यह गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों से भी लंबी मानी जाती है.

काली नदी का इतिहास

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काली नदी का इतिहास

काली नदी का उद्गम पिथौरागढ़ जिले के कालापानी क्षेत्र से होता है, जो समुद्र तल से लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.यह क्षेत्र हिमालयी पर्वतमाला का हिस्सा है और यहां मौजूद काली ग्लेशियर से ही इस नदी की शुरुआत होती है. 

शारदा, काली और महाकाली

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शारदा, काली और महाकाली

इस नदी को तीन नामों से जाना जाता है. काली नदी, शारदा नदी और महाकाली नदी. भारत में इसे आमतौर पर शारदा नदी कहा जाता है, जबकि नेपाल में इसे महाकाली नाम से जाना जाता है.

कैसे मिला काली का नाम

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कैसे मिला काली का नाम

आपको बता दें कि उद्गम स्थल के पास काली माता का एक प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है, जिससे इस नदी को 'काली' नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं ये नदी किस तरह भारत और नेपाल के बीच रणनीतिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है.

भारत और नेपाल के बीच प्राकृतिक सीमा

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भारत और नेपाल के बीच प्राकृतिक सीमा

काली नदी उत्तराखंड और नेपाल के बीच एक प्राकृतिक सीमा का कार्य करती है. यह नदी भारत के कुमाऊं क्षेत्र से होकर बहती है और नेपाल की पश्चिमी सीमा को छूती है. यही कारण है कि इस नदी को लेकर भारत और नेपाल के बीच भौगोलिक विवाद भी समय-समय पर सामने आते हैं. 

काली नदी की प्रमुख सहायक नदियां

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काली नदी की प्रमुख सहायक नदियां

काली नदी की प्रमुख सहायक नदियों में गोरीगंगा, सरयू और लोहाघाट क्षेत्र की छोटी-छोटी धाराएं शामिल हैं. इन सहायक नदियों के मिलने से काली नदी का प्रवाह और भी अधिक प्रभावशाली हो जाता है. 

नदी किनारे बसे प्रमुख शहर और कस्बे

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नदी किनारे बसे प्रमुख शहर और कस्बे

काली नदी के किनारे कई प्रमुख शहर और कस्बे बसे हुए हैं, जिनमें धारचूला, जौलजीबी, झूलाघाट, बनबसा और टनकपुर प्रमुख हैं.इन क्षेत्रों में यह नदी न केवल पानी का स्रोत है बल्कि पर्यटन और व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. 

काली नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

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काली नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

काली नदी को धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसके उद्गम स्थल के पास स्थित काली माता मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. 

जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्व

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जैव विविधता और पर्यावरणीय महत्व

काली नदी का प्रवाह क्षेत्र हिमालयी जैव विविधता से समृद्ध है. नदी के आसपास के वन क्षेत्र में कई दुर्लभ पशु-पक्षी और पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं.

अंत में गंगा में मिलन

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अंत में गंगा में मिलन

काली नदी अपने संपूर्ण प्रवाह के बाद उत्तर प्रदेश के टनकपुर क्षेत्र से गुजरते हुए तराई क्षेत्र में प्रवेश करती है और अंततः घाघरा नदी में मिलती है. घाघरा नदी गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है, अतः यह कहा जा सकता है कि काली नदी का अंतिम मिलन गंगा नदी से होता है. इस प्रकार यह नदी हिमालय से गंगा तक की एक लंबी यात्रा पूरी करती है. 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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