दरअसल, आजादी के बाद देश का विभाजन हुआ. इसके बाद 1951 में पहला विधानसभा चुनाव हुए. कांग्रेस ने गोविंद बल्लभ पंत को बरेली सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ाया. गोविंद बल्लभ पंत ने जीत दर्ज की. इसके बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गोविंद बल्लभ पंत को उत्तर प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी.
गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके मां का नाम गोविंदा बाई था. उनके पिता सरकारी नौकरी में थे, इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता था.
गोविंद बल्लभ पंत बचपन से ही मोटे तगड़े और होशियार थे. वह 6 फीट लंबे थे. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से साल 1907 में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद 1909 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही लॉ की डिग्री हासिल की.
कॉलेज के दिनों में ही वह राजनीतिक रैलियों और सभाओं में हिस्सा लेने लगे. गोविंद बल्लभ पंत ने भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद गोविंद बल्लभ पंत अल्मोड़ा लौट आए और साल 1910 में अल्मोड़ा में वकालत शुरू की. कुछ दिनों बाद रानीखेत आ गए और इसके बाद काशीपुर चले गए.
गोविंद बल्लभ पंत 1952 में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री नियुक्त हुए. मुख्यमंत्री बनते ही गोविंद बल्लभ पंत ने जमींदारी प्रथा खत्म करने का ऐलान कर दिया.
गोविंद वल्लभ पंत मदन मोहन मालवीय के पक्के चेले थे. उस वक्त कांग्रेस पर अंग्रेजों के कानून में बनी सरकार में शामिल होने का आरोप लगा था, लेकन पंत की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में दंगे नहीं हुए.
जानकारी के मुताबिक, गोविंद बल्लभ पंत की पहली शादी 12 साल में हो गई थी. 29 साल की उम्र होते-होते उनकी तीन शादियां हो गई थीं.
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