अयोध्या को रामनगरी, काशी को शिव नगरी, प्रयागराज को संगमनगरी और मथुरा को कृष्ण नगरी कहा जाता है. इसी तरह आगरा से सटे फिरोजाबाद को सुहाग नगरी कहा जाता है.
मुगल काल के समय से बसे इस शहर की चूड़ियां दुनियाभर में फेमस हैं. यहां की चूड़ियां देश ही नहीं विदेश में भी पहनी जाती हैं. यही वजह है कि इस शहर को सुहाग नगरी कहा जाता है.
आगरा से करीब 40 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर दूरी पर बसा फिरोजाबाद शहर कांच के कारोबार के लिए फेमस है. यहां चूड़ियों का कारोबारा 200 साल पुराना है.
यहां की चूड़ियां फेमस हैं तो उसकी वजह खास तरह की बनावट है. आज भी यहां चूड़ियां पुराने तरीके से यानी हाथों से बनाई जाती है. खुद ही रंग भी भरते हैं.
यहां चूड़ियों के अलावा कांच के खूबसूरत बर्तन भी बनते हैं. फिरोजाबाद में 400 से अधिक ग्लास वर्क यूनिट हैं. इनमें से अधिकांश छोटे पैमाने पर औद्योगिक इकाइयों के अंतर्गत आते हैं.
चूड़ियां समाज में सुहाग की निशानी कहलाती है. फिरोजाबाद में सोने, पीतल, चांदी और लाख की चूड़ियां भी बनाई जाती हैं. हालांकि, कांच की चूड़ियों की बात ही अलग है.
चूड़ी के कारखाने में भट्ठी में तकरीबन 1300 डिग्री ताप पर कांच के रूप में चूड़ी पिघलती है. इसके बाद रॉड पर खींची जाती है. हीरे से काट कर चूड़ियों का रूप दिया जाता है.
बता दें कि फिरोजाबाद में चूड़ी का पहला कारखाना रुस्तम जी ने शुरू किया था. धीरे-धीरे चूड़ी का कारोबार बढ़ता चला गया. पहले कोयले और लकड़ी से भट्ठी धधकती थी और ताप को मेंटेन करने में कई दिन लगते थे.
90 के दशक में कारखानों को नेचुरल गैस का कोटा मिला तो भट्ठियों की तापमान की समस्या खत्म हो गई. यहां रोजाना सुबह 5 बजे से ही चूड़ियां बनाने का काम शुरू हो जाता है.
चंदवार नगर को फिरोजाबाद नाम फिरोज शाह मनसब दार ने 1566 में अकबर के शासन काल में दिया था. इससे पहले फिरोजाबाद का नाम चंदवार नगर था.
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