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7 इंजन, 354 डिब्बे...यूपी से गुजरी 'बाहुबली' ट्रेन, इंजन से आखिरी कोच तक जाने में घंटों लग जाएंगे!

भारतीय रेलवे के इतिहास में बड़ा कारमाना हुआ है. उत्तर प्रदेश में पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल को बड़ी सफलता मिली है. 7 अगस्त को दीन दयाल उपाध्याय मंडल ने पहली बार छह खाली बॉक्सन रेक को जोड़कर बनाई एक मालगाड़ी बनाई. जिसे सफलतापूर्वक चलाया गया.

4.5 किलोमीटर लंबाई

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4.5 किलोमीटर लंबाई

इस मालगाड़ी की लंबाई 4.5 किलोमीटर थी. इतनी दूरी पैदल तय करने में एक घंटे से ज्यादा समय लग जाएगा. यह अब तक भारतीय रेल की सबसे लंबी मालगाड़ी है.'रूद्रास्त्र' मालगाड़ी ने 05 घंटे में 40 किलोमीटर की औसत स्पीड से गंजख्वाजा स्टेशन से गढ़वा रोड स्टेशन तक की 200 किलोमीटर की दूरी तय की.

चलाने में लगे 7 इंजन

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चलाने में लगे 7 इंजन

'रूद्रास्त्र' को छह खाली बॉक्सन रेक को जोड़कर तैयार किया गया, जिसमें कुल 354 वैगन शामिल हैं. इस मालगाड़ी को चलाने के लिए 07 इंजन लगाए गए. गंजख्वाजा स्टेशन से सभी छह रैक को जोड़कर बनी 'रूद्रास्त्र' मालगाड़ी को गुरुवार की दोपहर 2:20 बजे गढ़वा रोड के लिए रवाना किया गया. यह मालगाड़ी डीडीयू मंडल के गंजख्वाजा से सोननगर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर और उसके बाद गढ़वा रोड की ओर भारतीय रेल के सामान्य ट्रैक पर चली.

 

रेलवे का अहम मंडल है डीडीयू

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रेलवे का अहम मंडल है डीडीयू

पूर्व मध्य रेल का पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल भारतीय रेल के सबसे अहम मंडलों में से एक है, जो धनबाद मंडल को कोयला और अन्य सामान लादने के लिए लगातार समय से खाली मालगाड़ी पहुंचाने में अहम भूमिका निभाता है. यहां मालगाड़ियों के डिब्बों की जांच और मरम्मत बड़े पैमाने पर की जाती है. जांच के बाद पूरी तरह ठीक डिब्बों को जोड़कर मालगाड़ी तैयार की जाती है, जिसे आगे धनबाद मंडल को भेजा जाता है ताकि वहां सामान लादा जा सके.

 

बढ़ेगी माल ढुलाई की रफ्तार

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बढ़ेगी माल ढुलाई की रफ्तार

'रूद्रास्त्र'का सफल संचालन डीडीयू मंडल की बेहतर काम करने की क्षमता, विभागों के बीच तालमेल और अच्छे प्रबंधन का उदाहरण है. इससे माल ढुलाई की रफ्तार और क्षमता दोनों बढ़ेंगी. अगर इन मालगाड़ियों को अलग-अलग चलाया जाता तो इन सभी के लिए छह बार अलग-अलग मार्ग और चालक दल की व्यवस्था करनी पड़ती. 

समय की होगी बचत

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समय की होगी बचत

रूद्रास्त्र के रूप में एक साथ चलने से उल्लेखनीय रूप से समय की बचत होगी तथा और ज्यादा ट्रेन चलाने के लिए मार्ग भी उपलब्ध होगा. 4.5 किलोमीटर लंबी ''रूद्रास्त्र'' मालगाड़ी का सफल संचालन डीडीयू मंडल की नई सोच और नवाचार की शानदार मिसाल है.

 

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