यूपी की वो जगह जहां एक ही परिसर में मंदिर-मस्जिद, बना है हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक
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यूपी की वो जगह जहां एक ही परिसर में मंदिर-मस्जिद, बना है हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक

Kanpur Dehat News: कानपुर देहात जिले में हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक की ऐसी जगह है. यहां मंदिर और मस्जिद एक ही परिसर में हैं. जहां मंदिर में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं वहीं मस्जिद में मुस्लिम धर्म के लोग सजदा करने आते हैं 

Narmadeshwar Mahadev Temple
Narmadeshwar Mahadev Temple

आलोक त्रिपाठी/कानपुर देहात: जिले का ऐसा महादेव मंदिर, जो मुगलकाल की आज भी याद दिलाता है. यहां भक्तों की ऐसी आस्था है कि प्रत्येक सोमवार को पूजा अर्चना के साथ सावन के माह में सैलाब उमड़ता है. बता दें कि कानपुर देहात के अकबरपुर के ऐतिहासिक शुक्ल तालाब परिसर में स्थित प्राचीन नर्मदेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की आस्था व आराधना का प्रमुख केंद्र है. मंदिर की नक्कासी इसके प्राचीनतम होने को दर्शाता है. सावन के हर सोमवार को भक्त बड़ी संख्या में यहां आकर भगवान शंकर की पूजन अर्चन व जलाभिषेक करते हैं. वहीं अंतिम सोमवार को यहां भव्य श्रंगार के साथ रुद्राभिषेक व विशेष पूजन का आयोजन होता है.

मंदिर व शुक्ल तालाब है नायाब
मुगलकाल में अकबरपुर का ऐतिहासिक शुक्ल तालाब वास्तु कला का नायब नमूना होने के साथ ही हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है. शुक्ल तालाब परिसर में मंदिर और मस्जिद होने की वजह से हिंदू और मुस्लिम की एकता का प्रतीक बना हुआ है जहां मंदिर में लोग पूजा अर्चना करने आते हैं वहीं मस्जिद में मुस्लिम धर्म के लोग सजदा करने आते हैं आज भी दूर दराज से लोग यहां आते हैं. इसकी प्राचीनतम कहानी 1857 की क्रांति की यादें संजोए हैं. इस परिसर में स्थित नर्मदेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था व आराधना का केंद्र बना हुआ है. 

बुजुर्गों के मुताबिक वर्ष 1556 में जब शहंशाह अकबर दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो उसने 1563 ईसवी में शीतल शुक्ल को अकबरपुर का दीवान व नत्थे खां को आमिल नियुक्त किया था. इसी बीच अकबरपुर में अकाल पड़ गया. इस पर दोनों लोगों ने सरकारी पैसे से 1578 में पहले इस तालाब का निर्माण कराया था. धन जमा न होने पर अकबर बादशाह ने स्वयं यहां आकर जांच की. इस पर धन के सदुपयोग की जानकारी पर उन्होने दोनों को इनाम भी दिया था. 

हैरिटेज होटल बनाने की तैयारी
इधर शीतल शुक्ल व उनके परिवार के लोगों को भगवान महादेव में घोर आस्था थी. इसलिए शीतल शुक्ल ने उसी परिसर में नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया था. उस दौरान जनपद का यह अनूठा व भव्य मंदिर था. बाद में लोगों की आस्था बढ़ गयी. मौजूदा समय में यह तालाब व मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है. अब इस परिसर को योगी सरकार हैरिटेज होटल बनाने की तैयारी में हैं. इसके लिए योगी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी भी मिल चुकी है. इस परिसर को 38 करोड़ की लागत से संजोया जाएगा. अगर ऐसा हो जाता है तो कस्बे के विकास के साथ ही इस ऐतिहासिक जगह की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे.

सावन में शिव मंदिर में पूजा का विशेष महत्व
सावन माह में इस प्राचीन शिव मंदिर में पूजन का विशेष महत्व है. यहां आने वाले भक्त प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर का पूजन व जलाभिषेक करते हैं. जबकि अंतिम सोमवार को यहां विशेष पूजन, रुद्राभिषेक के साथ भंडारे का भी आयोजन होता है. इस मौके पर यहां बड़ी संख्या में भक्तों के आने की संभावना के चलते सभी तैयारियां पूरी कर ली जाती हैं. स्थानीय लोग पूरी तरह से तल्लीन हो जाते हैं. साफ़ सफाई के साथ आयोजन के लिए लोग सहयोग करते हैं. मान्यता है कि रुद्राभिषेक के आयोजन में यहां श्रद्धालु पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: का जप करते हैं, जिससे लोगों के कष्ट दूर होने के साथ मनौतियां पूर्ण होती हैं.

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