Pilibhit Hindi News: पीलीभीत डीएम इन दिनों अपने एक खास संदेश को लेकर चर्चा में हैं. उनके चेंबर में दीवार पर लिखा है कि मैं उस प्रभु का सेवक हूं जिसे मनुष्य कहते हैं. आइए जानते हैं उन्होंने फरियादियों को लेकर क्या कहा?
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Pilibhit Latest News/मोहम्मद तारिक: एक अफसर अगर अपने पद को सिर्फ कुर्सी नहीं, बल्कि कर्तव्य और सेवा का मंच मान ले, तो वह जनता के दिलों में बस जाता है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह आज एक ऐसे ही प्रशासक के रूप में सामने आए हैं, जिनकी सोच और कार्यशैली लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है. आपको बता दें कि उनके चेंबर की दीवार पर लिखा एक छोटा-सा वाक्य इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है. जहां पर लिखा है कि मैं उस प्रभु का सेवक हूं जिसे मनुष्य कहते हैं. सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक दर्शन है, जो बताता है कि वे आम जनता को भगवान के समान मानते हैं. यह पंक्ति अब उनकी पहचान बन चुकी है.
डीएम ज्ञानेंद्र सिंह का यह मानना है कि प्रशासन का असली उद्देश्य केवल नियमों को लागू करना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है. उनका यह दृष्टिकोण उन्हें एक संवेदनशील और जन-हितैषी प्रशासक के रूप में स्थापित करता है.
हर फरियादी भगवान समान
ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि यह प्रेरणादायक पंक्ति स्वामी विवेकानंद से प्रेरित है. वह मानते हैं कि जो भी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर प्रशासन के पास आता है, वह "प्रभु" के रूप में होता है, और उसकी सेवा करना ही सच्चा धर्म है. इस दौरान यह भी बताया कि पीलीभीत जैसे बड़े और ग्रामीण क्षेत्र में लोग 100 किलोमीटर दूर से भी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, ऐसे में यह उनका कर्तव्य बनता है कि हर समस्या का समाधान उसी दिन किया जाए.
सेवा को बनाया मिशन
डीएम का कहना है कि वह थाना दिवस और तहसील दिवस जैसे माध्यमों से लगातार लोगों की समस्याएं सुनते हैं और कोशिश करते हैं कि फरियादी को जिला मुख्यालय तक ना आना पड़े. इसके लिए उन्होंने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत ग्राम सचिवालय में हफ्ते में एक दिन अधिकारी बैठेंगे.अगर समस्या का समाधान वहां नहीं होता, तो तहसील स्तर पर और फिर जिला मुख्यालय पर कार्यवाही होगी.
एक प्रेरणा, एक मिशन
डीएम ज्ञानेंद्र सिंह का यह कार्यशैली और सोच बताती है कि वह अपनी जिम्मेदारी को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक पवित्र मिशन के रूप में देखते हैं. उनका यह मानवीय दृष्टिकोण उन्हें अन्य अधिकारियों से अलग करता है. उनके चेंबर में लिखा यह संदेश कि मैं उस प्रभु का सेवक हूं जिसे मनुष्य कहते हैं. हर आने-जाने वाले को यह याद दिलाता है कि प्रशासन का असली मकसद मानवता की सेवा है.
पीलीभीत के लिए एक मिसाल
आज ज्ञानेंद्र सिंह न सिर्फ एक जिलाधिकारी हैं, बल्कि जनता के बीच एक प्रेरणा बन चुके हैं. उनका यह संदेश और कार्यशैली यह साबित करती है कि जब कोई अफसर दिल से काम करता है, तो वह प्रशासन को सेवा का मंदिर बना सकता है.
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