Lucknow Top Five Darwaze: लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर में दरवाजे एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. नवाबों के समय में बनाए गए ये दरवाजे शहर की सुंदरता और संस्कृति को दर्शाते हैं. आइए जानते हैं लखनऊ के पांच प्रमुख दरवाजों के बारे में:
Lucknow Top Five Darwaze: उत्तर प्रदेश में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जो अपनी भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं. जैसे आगरा का ताज महल और लाल किला,फतेहपुर सीकरी,काशी का विश्वनाथ मंदिर के साथ लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा भी है. इन ऐतिहासिक इमारतों को देखना एक अद्भुत अनुभव होगा.
यूपी की राजधानी और नवाबों का शहर लखनऊ भी अपनी इन्हीं इमारतों के लिए जाना जाता है. लखनऊ में बने हुए दरवाजे अपनी अलग ही दास्तां कहते हैं. नवाबों की नगर को अगर दरवाजों की नगरी कहा जाए, तो यह गलत नहीं होगा. इस शहर में कई दरवाजे हैं, आइए जानते हैं पांच दरवाजों के बारे में.
यह दरवाजे कभी अवध की आन-बान और शान हुआ करते थे. इन दरवाजों का इतिहास नवाबों और अंग्रेजों के समय से जुड़ा हुआ है. आज हम आपको इनमें से कुछ खास दरवाजों के बारे में बताने जा रहे हैं.
लखनऊ के नक्खास इलाके में स्थित एक पुराना और मशहूर दरवाज़ाअकबरी गेट है. यह लखनऊ को मुगल इतिहास से जोड़ता है. अकबरी गेट अकबरी हुकूमत में बनवाया गया था. कभी यहां पर हुस्न का बाजार लगता था, अब यह पूरी गली अवधी खान-पान और कपड़ों के लिए मशहूर है.
शेर दरवाजा 1857 की क्रांति का केंद्र बिंदु रहा. ब्रिटिश सेना अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल नील को उसी द्वार के पीछे भारतीय क्रांतिकारियों ने मार डाला था.लखनऊ ग्लोब वाले पार्क के दक्षिण में एक केसरिया फाटक है जिस पर शेरों का एक जोड़ा बैठा हुआ है. इसी वजह से इस डेढ़ सौ साल पुराने द्वार को 'शेर दरवाज़ा' कहा जाता है. 1857 की क्रांति से पहले यहां पर एक खास बाजार लगता था. जहां पर 12 इमामों की दरगाह हुआ करती थी. इसे बादशाह बेगम ने नसीरुद्दीन हैदर के अहद में बनवाया था.
रूमी गेट लखनऊ की पहचान है. इसे लखनऊ की सिग्नेचर बिल्डिंग भी कहा जाता है. रूमी दरवाज़ा यह एक विशाल अलंकृत संरचना है, जिसके ऊपरी भाग में एक आठ मुखी छतरी बनी हुई है. पुराने समय में इसका उपयोग लखनऊ शहर के प्रवेश द्वार को चिह्नित करने के लिए किया गया था. यह अब लखनऊ शहर के प्रतीक के रूप में अपनाया गया है. इसे अवध के नवाब आसफुद्दौला ने सन 1775 में लखौरी ईटों से बनवाया था. 1786 में यह बनकर तैयार हो गया था. उस समय करीब 1 करोड़ की लागत से उस जमाने में नवाब ने इसे बनवाया गया था. यह इमारत करीब 60 फीट ऊंची है तथा बड़ा इमामबाड़ा, लखनऊ के निकट स्थित है. रूमी दरवाजे की खासियत यह है कि दोनों तरफ से यह अलग दिखता है.
गोल दरवाजे को चौक में अकबरी हुकूमत के वक्त नवाब मोहसिन उद्दौला की बेगम वजीर बेगम ने बनवाया था. उस समय यह गोल दरवाजा बेहद आलीशान था, लेकिन अब यह दरवाजा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. अब यहां पर लखनऊ का सबसे बड़ा सर्राफा बाजार और मिठाई की दुकान चलती हैं.
कैसरबाग में दो गेट हैं, जिन्हें लाखी दरवाजा कहते हैं. 1850 में नवाब वाजिद अली शाह ने दोनों दरवाजे बनवाए थे. उस समय इस दरवाजे पर करीब एक लाख रुपए का खर्चा आया था, इसलिए इनका नाम लाखी दरवाजा रखा गया.
इन दरवाजों की वास्तुकला और डिजाइन बहुत ही सुंदर और अनोखी है, जो शहर की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाती है. लखनऊ के दरवाजे न केवल शहर की पहचान हैं, बल्कि ये शहर की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाते हैं.
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