मथुरा-वृंदावन के मंदिर, गलियां और राधे-कृष्ण की आरती हर श्रद्धालु के मन को मोह लेती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां कुछ ऐसे घाट भी हैं जो रहस्यों से भरे हैं और जिनकी कथा-कहानियां आपको इन्हें देखने से रोक नहीं पाएंगी.
वृंदावन का केशी घाट बेहद प्रसिद्ध घाटों में गिना जाता है. इसकी कहानी सीधे श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी है. मान्यता है कि कंस ने केशी नामक राक्षस को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा था.
जब केशी वृंदावन पहुंचा, तब श्रीकृष्ण ने यहीं पर उसका वध किया था. उसी स्मृति में इस घाट का नाम 'केशी घाट' पड़ा. यहां की वास्तुकला बेहद सुंदर है और यमुना किनारे बैठकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है.
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि जितनी प्रसिद्ध है, उतना ही खास है यहां का 'विश्राम घाट'. कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया, तब वे अपने भाई बलराम के साथ इसी घाट पर आकर विश्राम किए थे.
आज भी यहां श्रद्धालु यमुना में पवित्र स्नान करते हैं और घाट के आसपास बने प्राचीन मंदिरों के दर्शन करते हैं, माना जाता है कि यहां बैठने मात्र से मानसिक शांति मिलती है और जीवन की उलझनें सुलझने लगती हैं.
मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर के निकट स्थित श्री वराह घाट एक अत्यंत पवित्र स्थल है. यह घाट भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस घाट पर स्नान कर मंदिर के दर्शन करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, यहां 11 परिक्रमा करने से संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
वृंदावन-मथुरा आने वाले श्रद्धालु अक्सर मंदिरों की ओर खिंचते हैं, लेकिन इन घाटों की धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता किसी से कम नहीं है. अगली बार जब आप कृष्ण नगरी की यात्रा करें, तो इन घाटों को अपनी सूची में जरूर शामिल करें. यहां की कहानियां और वातावरण आपको जीवनभर याद रहेंगे.
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