UP Latest News: क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि कहां है? अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं। मान्यता है कि यहीं से भगवान श्रीराम ने माता सीता के स्वयंवर में भाग लेने के लिए मिथिला की ओर प्रस्थान किया था.
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UP Hindi News: भगवान श्रीराम की जीवनगाथा से जुड़ी पौराणिक कहानियों में मेरठ का एक विशेष स्थान है. मेरठ स्थित गगोल तीर्थ को एक ऐसा स्थल माना जाता है, जहां भगवान श्रीराम ने राक्षसों का वध किया और एक पवित्र सरोवर की उत्पत्ति की. यही नहीं, मान्यता है कि वे यहीं से मिथिला में सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिए रवाना हुए थे.
महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि
गगोल तीर्थ को महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब प्राचीन काल में राक्षस ऋषि-मुनियों के यज्ञों को विध्वंसित कर रहे थे, तब महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या के युवराज श्रीराम और लक्ष्मण को इस समस्या के समाधान के लिए गगोल लाया. ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र मयदानव के अधीन था. जो रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता थे.
राक्षसों का वध और धर्म की रक्षा
गगोल में यज्ञ के दौरान जब राक्षस विघ्न डालने पहुंचे, तब भगवान श्रीराम ने अपने धनुष-बाण से उनका वध कर दिया और धर्म की रक्षा की. यह घटना श्रीराम के जीवन की उन पहली वीर गाथाओं में से एक मानी जाती है, जो उन्हें अयोध्या से बाहर व्यापक रूप में धर्मरक्षक के रूप में स्थापित करती है.
गगोल तीर्थ से मिथिला की ओर प्रस्थान
मान्यता है कि राक्षस वध के बाद भगवान श्रीराम ने तीर मारकर एक पवित्र सरोवर की उत्पत्ति की थी. यह सरोवर आज भी वहां स्थित है और धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब महर्षि विश्वामित्र को राजा जनक द्वारा सीता स्वयंवर में आमंत्रण मिला, तब वे श्रीराम और लक्ष्मण को गगोल तीर्थ से ही मिथिला ले गए. यही वह स्थल माना जाता है जहां से भगवान श्रीराम ने अपने जीवन की एक और ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत की जो अंततः सीता जी से विवाह के रूप में परिणत हुई.