दरअसल, नोएडा शहर बसाने के पीछे तर्क दिया जाता है कि दिल्ली में जनसंख्या के बढ़ते दबाव के चलते आजादी के बाद नए शहर बसाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा शहर बसाया गया.
कहा जाता है कि साल 1972 में 50 गांवों को यमुना-हिंडन-दिल्ली बॉर्डर रेगुलेटेड एरिया घोषित किया गया. इसी साल देश में इमरजेंसी लग गई.
दक्षिण दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया की तर्ज पर यमुना नदी के पूर्वी किनारे पर नोएडा को यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 के तहत न्यू ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के तहत नोएडा घोषित किया गया.
इसी शहर को बसाने के लिए जो अथॉरिटी गठित की गई. उसके नाम पर ही शहर का नाम नोएडा पड़ गया, तब से कई बार नाम बदलने की मांग हुई मगर अब यह इतना पॉपुलर हो गया है कि नोएडा से ही लोगों को प्यार हो गया.
नोएडा उत्तर में NH-24 बाईपास से घिरा हुआ है. इसके आगे गाजियाबाद है. इसके पूर्व में हिंडन रिवर, जिसके आगे ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया मौजूद है.
पश्चिम में यमुना नदी, जिसके आगे दिल्ली व हरियाणा राज्य हैं और दक्षिण में यमुना व हिंडन नदियों का मिलन बिंदु है. हिंडन यहां की फेमस नदी है.
साल 17 अप्रैल 1976 को दिल्ली में ओखला के सामने यमुना नदी के दूसरे तट पर शहर की नींव रखी गई थी. लोगों को आसानी हो इसके लिए इसका नाम नोएडा रखा गया.
नोएडा शहर 20,316 हेक्टेयर में फैला है. 1980 की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीड़ के दबाव को कम करने के लिए गुडवांव और नोएडा एक्सटेंशन को भी एनसीआर में शामिल किया गया.
6 सिंतबर 1997 में बुलदंशहर और गाजियाबाद के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर गौतमबुद्धनगर जिला बनाया गया. इसके अंतर्गत ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट आते हैं.
कहा जाता है कि संजय गांधी ने तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी को औद्योगिक विकास के लिए एक शहर बसाने का आइडिया दिया था.
इसी प्रस्ताव पर तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने अप्रैल 1976 में नोएडा की स्थापना के लिए एक अथॉरिटी बनाई. नोएडा में बड़े-बड़े उद्योग के अलावा एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन रहा है.
माना जाता है कि महाभारत काल में द्रोणाचार्य का आश्रम नोएडा इलाके में ही था. यहीं पर वह अपने शिष्यों और बेटे के साथ रहते थे. एकलव्य ने भी यहीं जंगल में रहकर धुनर्विधा का अभ्यास किया था.
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