उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत, स्थापत्य कला और शिक्षकीय परंपराएं पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखती हैं. यह प्रदेश न केवल राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण रहा, बल्कि भारत के बौद्धिक, धार्मिक और कलात्मक उत्कर्ष का भी प्रतीक माना जाता है.
उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा 75 जिले हैं. यही नहीं जनसंख्या के लिहाज से देखें तो भी देश का यह नंबर वन राज्य है. क्षेत्रफल के हिसाब से भी प्रदेश का देश में चौथा स्थान है.
मथुरा का वृंदावन शहर वैसे तो कान्हा की नगरी के लिए जाना जाता है. भगवान कृष्ण का जीवन इसी जगह पर बीता था. लेकिन अब इस शहर की पहचान विधवाओं की नगरी के तौर पर बनती जा रही है. यहां की गलियों में आपके नजर घुमाते ही सफेद साड़ी में औरतें दिखाई दे जाएंगी.
वृंदावन की पहचान कान्हा की नगरी के तौर पर होती है. भगवान कृष्ण की बाल लीला से जुड़े इस शहर में उनके माता पिता नंद और यशोधरा की प्रेमपूर्वक देखभाल की गई थी. चंद कदमों की दूरी पर यहां भगवान कृष्ण के मंदिर दिख जाएंगे.
भगवान कृष्ण की भक्ति में रमीं हुई इन उम्रदराज विधवा महिलाओं में से ज्यादातर को या तो घरवाले बोझ समझकर छोड़ गए हैं या खराब बर्ताव और अकेलेपन के चलते इन्होंने इस शहर को ठिकाना बना लिया है. ज्यादातर विधवाओं की कहानी इसी के आसपास घूमती हैं. यहां बने आश्रम इनका ठिकाना हैं.
ज्यादातर महिलाओं का समय मंदिरों में भक्ति गीत गाकर गुजरता है. यहीं उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी जो जाती है. यहां के मंदिरों के आसपास कई विधवा महिलाएं श्रद्धालुओं के माथे पर तिलक लगाते हुए दिखाई दे जाएंगी.