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Hanumangari Mandir History: कब्रिस्तान को बाबा नीम करौली ने बना दिया था तीर्थ स्थान, जानें इस चमत्कारी मंदिर की कहानी

Nainital News: नैनीताल से दो किलोमीटर दूर हनुमानगढ़ी मंदिर नीम करौली बाबा द्वारा बनवाया गया था. यह मंदिर बाबा की साधना और चमत्कारों का प्रतीक है. इस जगह पर पहले  कब्रिस्तान था,जिसे बाबा ने तीर्थ स्थल में बदल दिया. 

 

कैंची धाम

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कैंची धाम

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस है जिसके चलते लोगों की भारी भीड़ है. इसलिए अगर भीड़ के चलते जो लोग कैंची धाम नहीं जा पाते, वे नैनीताल में ही बाबा के दर्शन कर सकते हैं. 

 

नैनीताल में हनुमान मंदि

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नैनीताल में हनुमान मंदि

हम बात कर रहे हैं नैनीताल में हनुमान मंदिर की. नैनीताल में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हनुमानगढ़ी कहा जाता है.हनुमानगढ़ी मंदिर, नीम करौली बाबा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ भगवान हनुमान की पूजा की जाती है. यह मंदिर नीम करौली बाबा ने बनवाया था.

 

शहर की भीड़-भाड़ से दूर

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शहर की भीड़-भाड़ से दूर

शहर की भीड़-भाड़ से दूर, शांतिपूर्ण और श्रद्धा से भरे माहौल में नैनीताल शहर से महज 2 किलोमीटर दूर स्थित है. हनुमानगढ़ी मंदिर न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, बल्कि नीम करौली बाबा की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का मुख्य केंद्र भी माना जाता है.

 

पहली बार यहां कब आए नीम करौली बाबा

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पहली बार यहां कब आए  नीम करौली बाबा

यहां 1950 में नीम करौली बाबा ने पहली बार कदम रखा था. उन्होंने अपने भक्तों के साथ मिलकर इस जगह पर एक कुटिया बनाई और उसके पास हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति स्थापित की. 

 

1953 में बड़े हनुमान जी मंदिर का निर्माण

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 1953 में बड़े हनुमान जी मंदिर का निर्माण

फिर 1953 में बड़े हनुमान जी, 1955 में राम मंदिर, और 1956-57 के बीच शिव मंदिर का निर्माण कराया गया. इस तरह, हनुमानगढ़ी सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि बाबा की साधना और चमत्कारों का जीवंत प्रतीक बन गया.

 

पहले था कब्रिस्तान

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पहले था कब्रिस्तान

इस पहाड़ी पर पहले एक कब्रिस्तान था, जहां बच्चों को दफनाया जाता था. लोगों में इस जगह को लेकर डर था, लेकिन बाबा ने इसे एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में बदल दिया.नीम करौली बाबा ने नैनीताल-हल्द्वानी मोटर मार्ग के पास मनोरा की पहाड़ी पर हनुमानगढ़ी मंदिर बनवाया. 

 

क्या है कहानी...

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क्या है कहानी...

एक कहानी के अनुसार, बाबा ने उस समय एक भंडारे का आयोजन किया था, जिसमें बच्चों की बड़ी संख्या आई थी, जो प्रसाद पाने के बाद रहस्यमय तरीके से गायब हो गए. ऐसास कहा जाता है कि ये वही बच्चे थे, जिन्हें यहां दफनाया गया था, और बाबा ने उन्हें मुक्ति दी. 

 

हैड़ाखान बाबा की भविष्यवाणी

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हैड़ाखान बाबा की भविष्यवाणी

इसके अलावा ऐसा भी कहते हैं कि यहां के लिए हैड़ाखान बाबा ने भविष्यवाणी की थी भी वह भी पूरी हुई. उन्होंने कहा था, “कोई अंजनी का लाल इस जगह को जागृत करेगा,” जो बाद में नीम करौली बाबा के रूप में सच भी हुआ.

 

सिद्धि मां की भक्त

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सिद्धि मां की भक्त

सिद्धि मां का भी इस जगह से गहरा संबंध रहा है. वह बाबा की मुख्य भक्त थीं और यहीं से उनका आध्यात्मिक सफर शुरू हुआ. आज यहां उनका भी मंदिर मौजूद है.

 

कैसे पहुंचे हनुमानगढ़ी

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कैसे पहुंचे हनुमानगढ़ी

अगर आप हनुमानगढ़ी जाना चाहते हैं, तो नैनीताल से हल्द्वानी रोड की ओर किसी भी टैक्सी, कैब या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं.अगर आप निजी वाहन से जाए तो  और भी आसान है. इसके अलावा आप नैनीताल के तल्लीताल से पैदल कुछ मिनटों में इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

 

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