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जहांगीर-शाहजहां से अकबर तक, मुगल बादशाह आगरा से फतेहपुर सीकरी तक कहां कैसे खेलते थे होली

Holi During Mughal Era: मुगल काल में भी होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था.  कुछ मुगल शासकों ने इस त्योहार की परंपरा को जारी रखा था लेकिन औरंगजेब जैसे क्रूर शासक ने रंगों के इस त्योहार पर प्रतिबंध लगा दिया था.  मुगलकाल में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था.

 

 

होली 2025

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होली 2025
होली का त्योहार हमेशा से भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है.  इसे हिंदू परंपरा से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन मुगल शासनकाल में रंगों के त्योहार को मुगल शासकों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता रहा. 

मुगल भी मनाते थे होली

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मुगल भी मनाते थे होली
बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक कई मुगल सम्राटों ने रंगों के त्योहार होली को दरबार में मनाने की परंपरा शुरू की थी.  होली का जश्न मुगल शासक भव्य तरीके से मनाते थे, जहां, रंग, संगीत और उत्सव का माहौल होता था. 

आइए जानते हैं....

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आइए जानते हैं....
मुगल सल्तनत के आखिरी सम्राट इब्राहिम आदिल शाह और वाजिद अली शाह ने होली पर मिठाइयां और ठंडाई बांटने का प्रचलन शुरू किया था. आइए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताते हैं कि बाबर, हुमायूं से लेकर बहादुर शाह जफर तक होली कैसे मनाते थे.

बाबर (1526-1530)

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बाबर (1526-1530)
मुगल साम्राज्य का संस्थापक बाबर 16वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत आया था.  19वीं सदी के इतिहासकार मुंसी जकाउल्ला ने अपनी किताब तारीख-ए-हिंदुस्तान में लिखा है कि बाबर ने पहली बार हिंदुस्तानियों को होली खेलते हुए देखा,लोग एक-दूसरे को उठाकर रंगों से भरे हौद में फेंक रहे थे. बाबर को  यह नजारा पसंद आया और  उसने मजे के लिए उसी तरह अपने हौद को शराब से भरवा दिया था.

हुमायूं (1530-1540, 1555-1556)

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हुमायूं (1530-1540, 1555-1556)

 होली के त्योहार पर मुगल दरबार में रंग, संगीत और उल्लास का माहौल होता था. अपने पिता के विपरीत मुगल सम्राट हुमायूं ने हिंदू परंपराओं और त्योहारों का सम्मान किया. आगरा में शाहजहां और जहांगीर तो फतेहपुर सीकरी अकबर भी  होली का त्योहार मनाते थे.

अकबर(1556–1605)

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अकबर(1556–1605)
अकबर के नवरत्नों में से एक अबुल फजल ने अपनी किताब आइन-ए-अकबरी में होली का जिक्र किया है. इस किताब में उन्होंने लिखा है कि अकबर को होली का त्योहार बेहद पसंद था.  उनके फेतहपुर सीकरी स्थित दरबार में हिंदू-मुसलमान मिलकर रंगों का त्योहार मनाते थे. ऐसा कहते हैं कि अकबर जोधाबाई के साथ होली खेलते थे.  होली के अवसर पर, फूलों की वर्षा होती थी, रंगीन पानी से भरी पिचकारियां चलाई जाती थीं और गुझिया-ठंडाई जैसी मिठाइयां बांटी जाती थीं.

जहांगीर (1605-1627)

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जहांगीर (1605-1627)
मुगल बादशाह जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी में लिखा है कि होली एक ऐसा दिन है जिसे साल के आखिरी दिन मनाया जाता है. बता दें कि जहांगीर को आम लोगों के साथ होली खेलने से परहेज था, लेकिन वह अपनी प्रजा के लिए इस त्योहार पर विशेष आयोजन करवाता था. जहांगीर अपने महल के झरोखे से रंग में सराबोर लोगों को देखना पसंद करता था.

शाहजहां (1628-1658)

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शाहजहां (1628-1658)
ताजमहल का निर्माण कराने वाले मुगल सम्राट शाहजहां ने होली की परंपरा को जारी रखा.  इतिहासकारों के मुताबिक रानियां और हरम की महिलाएं महल के अंदर रंग खेलती थीं. शाहजहां के शासनकाल में इसे ईद-ए-रंग और आब-ए-पाशी कहा जाता था. इस दिन महलों को फूलों से सजाया जाता था, सुंगधित रंगों का इस्तेमाल किया जाता था और संगीत सभाएं आयोजित की जाती थीं.

बहादुर शाह जफर (1837-1857)

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बहादुर शाह जफर (1837-1857)
मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने होली के त्योहार का जिक्र अपनी कविताओं में किया है.  उन्होंने होरी नाम का खास गीत भी लिखा था. उनका एक दोहा है कि क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी, देखो कुंवरजी दूंगी मैं गारी. उनके शासनकाल में होली के रंगों को टेसू के फूलों से बनाया जाता था और मगुल सम्राट अपने परिवार के साथ रंगों का त्योहार होली मनाते थे.

नवाब भी होली धूमधाम से मनाते थे

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नवाब भी होली धूमधाम से मनाते थे

दिल्ली ही नहीं लखनऊ में भी नवाब सआदत अली खान और असिफुद्दौला होली की तैयारियों में बहुत खर्चा करते थे.  होली के दिन नवाब नर्तकियों को बुलाते थे और शानदार महफिलें सजती थीं.  शाहजहां और जहांगीर आगरा में तो अकबर फतेहपुर सीकरी में भी होली मनाते थे.

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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