नंदा देवी उत्तराखंड की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है, जिसकी ऊंचाई 7,434 मीटर है. यह चमोली जिले के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है और दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची चोटी मानी जाती है.
नंदा देवी को "आनंद देने वाली देवी" कहा जाता है और इसे गढ़वाल और कुमाऊं हिमालय की संरक्षक देवी माना जाता है. स्थानीय समुदायों के लिए इसका धार्मिक महत्व बहुत गहरा है.
इस क्षेत्र के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए 1983 में नंदा देवी अभयारण्य को बंद कर दिया गया. यह क्षेत्र अब संरक्षित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है.
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को 1988 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली. यह उद्यान अद्वितीय जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.
नंदा देवी और नंदा देवी ईस्ट की चढ़ाई बेहद कठिन मानी जाती है. ऑक्सीजन की कमी और दुर्गम मार्ग इसे और भी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं.
नंदा देवी पर पहली बार 1936 में ब्रिटिश-अमेरिकी टीम ने चढ़ाई की थी. नंदा देवी ईस्ट पर 1939 में पोलिश पर्वतारोहियों ने पहली बार सफलता प्राप्त की.
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान तक पहुंचने के लिए जोशीमठ से ट्रेकिंग करनी पड़ती है. निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट और निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है.
मई से अक्टूबर के बीच का समय नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान जाने के लिए सबसे बढ़िया है. इस दौरान मौसम साफ और हल्का रहता है, जो ट्रेकिंग और सैर सपाटे (outdoor activity) के लिए अनुकूल है.
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान तक की यात्रा में दुर्गम चढ़ाई और शानदार हिमालयी नजारे देखने को मिलते हैं. यह जगह प्रकृति प्रेमियों (nature lovers)और साहसिक यात्रा (adventure Trip) के शौकिनों के लिए एक शानदार डेस्टिनेशन है.
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