उत्तराखंड के खूबसूरत जिले चमोली के बारे में तो आपने सुना ही होगा. अलकनंदा नदी और बदरीनाथ मार्ग पर स्थित यह जिला बर्फ से लदे पर्वतों की बीच स्थित है. चमोली की प्राकृतिक सुंदरता निराली है और पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है.
उत्तराखंड के चमोली जिले को देवताओं का निवास भी कहा जाता है. यहं बदरीनाथ, गोपेश्वर और जोशीमठ जैसे कई मंदिर हैं. कई नदियां, झीलें और झरने चमोली की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाते हैं.
यह जिला ट्रेकिंग, पर्वतारोहण और कई तरह की एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए भी प्रसिद्ध है.यहां का प्रसिद्ध हिल स्टेशन औली स्कीइंग और विंटर स्पोर्ट्स के लिए दुनियाभर में मशहूर है.
चमोली में ही माणा गांव है जिसे भारत का प्रथम गांव कहा जाता है. इस गांव को स्वर्गारोहिणी के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है. स्वर्गारोहिणी को ही स्वर्ग की सीढ़ियां यानी जीते जी स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार कौरवों से युद्ध में विजय हासिल करने के बाद पांडवों ने तीन दशक से ज्यादा समय हस्तिनापुर पर राज किया और फिर द्रोपदी को साथ लेकर हिमालय की यात्रा पर निकल गए थे.
महाभारत के अनुसार हिमालय की यात्रा के दौरान पांडवों को स्वर्ग जाने का रास्ता मिला, इसी रास्ते पर चलते-चलते वो एक एक करके मृत्यु को प्राप्त हुए. और आखिर में युधिष्ठर एक कुत्ते के साथ जीते जी स्वर्ग पहुंचे थे.
आधुनिक समय में स्वर्गारोहिणी ट्रेकिंग के लिए पर्यटकों में खासा प्रसिद्ध है. इसी के रास्ते में सतोपंथ झील भी पड़ती है. इसे सत्य का मार्ग भी कहा जाता है. माना जाता है कि जो लोग झूठ बोलते हैं उन्हें इससे आगे बढ़ने में बहुत कठिनाई होती है.
सतोपंथ झील त्रिकोणीय है. मान्यता है कि यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेव दर्शन देते हैं. स्वर्गारोहिणी के रास्ते में चंद्र कुंड और विष्णु कुंड भी हैं, जो चंद्रमा और विष्णु से संबंधित बताए जाते हैं.
स्वर्गारोहणी तक पहुंचने के लिए आपको जोशीमठ से बदरीनाथ तक टैक्सी से जाना होता है. इसके बाद बद्रीनाथ से लक्ष्मीवन, लक्ष्मीवन से चक्रतीर्थ, चक्रतीर्थ से सतोपंथ ताल, सतोपंथ ताल से चंद्रकुंड ट्रेक, चंद्रकुंड से सूर्यकुंड तक ट्रेक, सूर्यकुंड से स्वर्गारोहिणी बेस कैंप पहुंच जाओगे यह 17, 987 फीट की ऊंचाई पर है.
चमोली के मीणा गांव पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. वहीं हवाई मार्ग के लिए यहां का निकटतम गौचर हेलीपैड है.लेकिन इसके आगे का सफर यात्रियों को पैदल ही तय करना होता है. इस दौरान आप प्राकृतिक सुंदरता का पूरा आनंद ले सकते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह लेख धार्मिक और पौराणिक मान्यता पर भी आधारित है , और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका कोई प्रमाण नहीं है. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.