दरअसल, लेखपाल एक सरकारी अधिकारी होता है. लेखपाल का ज्यादातर काम ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा होता है. लेखपाल को अपने क्षेत्र की जमीन की पूरी जानकारी रखनी होती है.
गांव में कौन सी किसकी जमीन है, ये पूरा रिकॉर्ड लेखपाल के पास मिल जाएगा. गांव में जमीन की खरीदारी करनी हो या बेचना हो या बंटवारा करना हो, लेखपाल के बिना यह संभव नहीं हो पाता.
लेखपाल का पद राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है. लेखपाल को पहले पटवारी भी कहा जाता था. दोनों एक ही पद के नाम हैं. कई प्रदेशों में आज भी लेखपाल को पटवारी कहा जाता है.
लेखपाल के अलावा इनके कई और नाम भी होते हैं जैसे पटेल, कारनाम अधिकारी, शान भोगरु आदि. यूपी में दो लेखपाल होते हैं एक चकबंदी और दूसरा राजस्व लेखपाल.
दोनों का काम भी अलग-अलग होता है. हालांकि, सैलरी, भत्ते और अधिकार में थोड़ा बहुत अंतर होता है. आइये जानते हैं लेखपाल की सैलरी कितनी है.
लेखपाल बनने के लिए सबसे पहले लिखित परीक्षा देनी होती है. इसके बाद साक्षात्कार होता है. इसके लिए किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास होना चाहिए. मिनिमम परसेंटेज की कोई शर्त नहीं होती.
लेखपाल पद के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष से 40 वर्ष के बीच होना चाहिए. वहीं, आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को राज्यों के नियमानुसार छूट दी जाती है. उम्मीदवार के पास कंप्यूटर का सर्टिफिकेट होना जरूरी है.
लेखपाल की सैलरी की बात करें तो 7वें वेतन पे के अनुसार, 21700-69100 पे-ग्रेड के अनुसार होती है. समय के साथ लेखपाल का प्रमोशन भी मिलता रहता है. प्रमोशन मिलने के बाद उनकी सैलरी भी बढ़ जाती है.
इसके अलावा लेखपाल को पेंशन और पीएफ की भी सुविधा मिलती है. इसमें मकान किराया भत्ता, यात्रा भत्ता, चिकित्सकीय सुविधाएं, पेंशन आदि शामिल हैं. इसके अलावा महंगाई भत्ता, टेलीफोन-मोबाइल कनेक्शन, इंटरनेट सुविधा भी शामिल हैं.
लेखपाल को अपने इलाके की लमीन की पूरी जानकारी रखनी होती है. गांव में जमीन से जुड़े विवादों का निपटारा करना होता है
जमीन का सीमांकन, हैसियत प्रमाण पत्र, जाति, आय, निवास, आपदा आदि जैसे काम. साथ ही गांव में जमीन खरीदने, बेचने, बंटवारे जैसे काम के लिए लेखपाल के पास ही जाना पड़ता है.
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