भारत के लिए 25 जून 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया है.अमेरिकी वाणिज्यिक स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस ने अपने चौथे मिशन "एक्सिओम-4" को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ल एक पायलट के तौर पर शामिल हैं, जो 41 वर्षों के लंबे समयबाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं.
लखनऊ से ताल्लुक रखने वाले शुभांशु शुक्ल भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं. उनके पास 2000 घंटे से ज्यादा फाइटर जेट उड़ाने का अनुभव है, जिसमें जैगुआर और सुखोई जैसे विमान शामिल हैं. उन्हें गगनयान मिशन के लिए भी चुना जा चुका है, और अब वे अंतरिक्ष में एक्सिओम-4 मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
मिशन को अमेरिका के केप कैनेवरल से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया. अंतरिक्षयात्रियों को ले जाने के लिए स्पेसएक्स द्वारा निर्मित ड्रैगन कैप्सूल का इस्तेमाल हुआ. यह कैप्सूल रॉकेट से अलग होकर खुद ब खुद अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचेगा और 28 घंटे में डॉक करेगा.
एक्सिओम कंपनी की स्थापना 2016 में दो पूर्व नासा वैज्ञानिकों ने की थी. इस कंपनी का लक्ष्य निजी अंतरिक्ष मिशनों और भविष्य में खुद का वाणिज्यिक स्पेस स्टेशन स्थापित करना है. यह कंपनी पहले भी सऊदी अरब, इज़राइल और अन्य देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेज चुकी है.
यह एक्सिओम का चौथा मानव मिशन है, जो नासा और स्पेसएक्स की साझेदारी से संचालित हो रहा है. इसमें चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं जो ISS पर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. ये प्रयोग मानव शरीर, खेती और सामग्री विज्ञान जैसे क्षेत्रों में किए जाएंगे.
मिशन का नेतृत्व अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिट्सन कर रही हैं. वे अब तक कुल 675 दिन अंतरिक्ष में बिता चुकी हैं, जो एक अमेरिकी और महिला के लिए रिकॉर्ड है. उन्होंने 10 बार स्पेसवॉक में भी भाग लिया है और वे एक्सिओम-2 मिशन का भी हिस्सा रही हैं.
पोलैंड के वैज्ञानिक स्लावोज उज्ना को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा चुना गया है. वे रेडिएशन साइंस और हाई-एनर्जी फिजिक्स में माहिर हैं और मिशन में विशेषज्ञ के रूप में शामिल हैं. वे बहुभाषी (Multi Lingual) हैं और अंतरिक्ष अनुसंधान में गहरी रुचि रखते हैं.
टिबोर कापू हंगरी से आने वाले मैकेनिकल इंजीनियर हैं, जिन्हें 'हंगेरियन टू ऑर्बिट' प्रोग्राम के तहत चुना गया. 247 उम्मीदवारों में से उन्हें इस मिशन के लिए चयनित किया गया. वे भी इस मिशन में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए मिशन विशेषज्ञ की भूमिका निभा रहे हैं.
यह मिशन न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग के लिहाज से भी अहम है। यह निजी कंपनियों, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और वैज्ञानिकों के बीच समन्वय का बेहतरीन उदाहरण है. साथ ही, इससे यह साबित होता है कि अब अंतरिक्ष केवल गिने-चुने देशों तक सीमित नहीं रहा.
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