जी हां हम बात कर रहे हैं नेतराम कचौड़ी की. इस दुकान की प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां मौजूद चौराहे का नाम नेतराम कर दिया गया.
नेतराम कचौड़ी वाले के यहां सुबह 7 बजे से ही भीड़ लगने लगती है, जो शाम तक आती-जाती रहती है. लोग खाते भी हैं पैक करा कर घर भी ले जाते हैं.
नेतराम की कचौड़ी सब्जी, दही जलेबी, समोसे, पकौड़े के जायके के लिए लोग एकत्रित होते हैं. अगर कोई संगमनगरी आए तो यहां कचौड़ी खाने जरूर आता है.
खास बात यह है कि यहां कचौड़ी देसी अंदाज में पत्तल में परोसी जाती है. वह भी देसी घी की बनी होती है. कचाड़ी के साथ गुलाब जामुन का भी स्वाद चखते हैं.
एक थाली में तीन तरह की सब्जियां, रायता, चटनी और देसी घी की कचौड़ियां परोसी जाती हैं. सब्जी का भी अलग ही टेस्ट होता है.
नेतराम मिठाई की दुकान करीब 165 साल पुरानी है. 1855 में एक छोटे से कमरे में यह दुकान शुरू हुई थी. नेतराम मूलचंद की यह पांचवीं पीढ़ी हैं.
नेतराम-मूलचंद की मिठाई तो शहर में एक ब्रांड है. यहां दूसरे शहरों से आने वाले लोग भी पूड़ी सब्जी और दही-जलेबी का आनंद लेते हैं.
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