रामपुर के नोगली में आषाढ़ मेला, देव आस्था और प्रकृति की कृपा से सूखे पर राहत की उम्मीद
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रामपुर के नोगली में आषाढ़ मेला, देव आस्था और प्रकृति की कृपा से सूखे पर राहत की उम्मीद

सूखे से निपटने एवं गर्मी से निजात पाने के लिए रामपुर के समीप नोगली में देवताओं की उपस्थिति में मनाया जाता है आषाढ़ मेला. मेला शुरू होते ही कुदरती तौर से बादल भी लगते है बरसने.

रामपुर के नोगली में आषाढ़ मेला, देव आस्था और प्रकृति की कृपा से सूखे पर राहत की उम्मीद

Kinnaur News(विशेषर नेगी): शिमला जिला के रामपुर के समीप नोगली नामक स्थान में बरसात एवं भयंकर गर्मी से निजात की मांग को लेकर के आषाढ़ मेले का आयोजन किया जाता है. मेले से पूर्व देवता लक्ष्मी नारायण कुमसु समूचे इलाके के भ्रमण पर निकलते हैं. जैसे ही देवता वापिस नोगली की ओर लौटने लगते हैं, बादलों का बरसाना भी कुदरती आरंभ हो जाता है. जिला स्तरीय इस मेले के दौरान आसपास के देवी देवता भी उपस्थिति दर्ज करते हैं. मेले का मुख्य आकर्षण देव मिलन एवं पारंपरिक नाटियां आकर्षण का केंद्र रहती है. दूर दूसरे लोग नाच गान के लिए नोगली पहुंचते हैं और तीन दिनों तक मेले का दौर चलता रहता है.

क्षेत्र के लोग आषाढ़ मेले की बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि यह निश्चित होता है कि जैसे ही मेला प्रारंभ हो वैसे ही चाहे जितने मर्जी सूखे की स्थिति क्यों ना हो बादलों का बरसना शुरू हो जाता है. यह देव आस्था कहे या प्रकृति की कृपा ,मेला शुरू होते ही खूब बरसात हो जाती है. इस से लोगों को जहां सूखे से छुटकारा मिलता है, वही गर्मी से भी राहत महसूस करते हैं.

मेला आयोजन समिति के कृष्ण गोपाल ने बताया कि नोगली का आषाढ़ मेला सदियों से मनाया जा रहा है. जैसे ही देवता क्षेत्र का भ्रमण कर वापस लौटने लगते हैं तो बादलों का बरसाना भी शुरू हो जाता है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में इस दौरान सूखे की स्थिति रहती है और जैसे ही देवता नोगली की ओर परिक्रमा से आते हैं तो बारिश शुरू हो जाती है और इसी खुशी में क्षेत्र में मेलों का दौर शुरू हो जाता है.

महिला मंडल नोगली की शकुंतला ठाकुर ने बताया कि नोगली मेला प्राचीन समय से चला आ रहा है. इस मेले में क्षेत्र के देवी देवता भी आमंत्रित किए जाते हैं. देवी देवताओं के आने पर क्षेत्र के लोग प्रसन्न होते हैं और नाच गान का दौर भी चलता है. आषाढ़ मेले को ले कर लोगों में खुशी इसलिए भी अधिक होती है क्योंकि सूखे की स्थिति बनी रहती है और बादलों के बरसने से लोग गर्मी से निजात पाते है.

हैप्पी सोनी ने बताया कि इस बार मेले का रूप काफी भव्य रहा. जिसका लोगों ने खूब आनंद लिया। मेले के दौरान महिला मंडलों की औरतों ने भी अपने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य किया. कुल मिलाकर लोगों ने इस मेले का खूब आनंद उठाया.

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