मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि बीते चार साल में प्रदेश में इंटेंस बारिश की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. विशेष रूप से कुल्लू और मंडी जिलों में कम समय में अत्यधिक बारिश हो रही है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं सामने आती हैं.
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Himachal Weather: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश ने आम लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. मॉनसून सीज़न में इस बार 1 जून से लेकर 15 जुलाई तक प्रदेश में सामान्य से 17% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है. चंबा और लाहौल-स्पीति के अलावा सभी अन्य जिलों में औसत से अधिक बारिश हो चुकी है.
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक संदीप शर्मा ने बताया कि बीते चार साल में प्रदेश में इंटेंस बारिश की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. विशेष रूप से कुल्लू और मंडी जिलों में कम समय में अत्यधिक बारिश हो रही है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं सामने आती हैं.
हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ सालों के मानसून सीजन पर नजर डालें, तो हर साल बारिश की तस्वीर अलग रही है. साल 2015 में 638.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 16.4% कम थी. 2016 में 623.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, यानी 18.3% कम. 2017 में थोड़ी बढ़कर 717.2 मिमी हुई लेकिन तब भी यह सामान्य से 6.1% कम रही. 2018 में बारिश में जबरदस्त उछाल आया और 927 मिमी रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य से 21.4% अधिक थी. इसी साल भूस्खलन की 405 घटनाएं और 34 बार बादल फटने के मामले सामने आए. कई इलाकों में फ्लैश फ्लड से हालात बिगड़ गए.
2019 में बारिश फिर कम हुई और 686.9 मिमी दर्ज हुई, जो सामान्य से 10% कम थी. 2020 में यह आंकड़ा और गिरा—567.4 मिमी, यानी 25.4% की कमी. 2021 में 688.6 मिमी बारिश हुई, 9.8% कम। 2022 में 716.2 मिमी बारिश हुई, जो लगभग सामान्य के बराबर रही. 2023 में फिर एक बार इंटेंस रेनफॉल का दौर लौटा. उस साल 886 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो सामान्य से 21% अधिक रही। इस दौरान भी प्रदेश में कई आपदाएं आईं. 2024 में फिर गिरावट देखने को मिली. इस मानसून में अब तक 600.9 मिमी बारिश दर्ज हुई है, जो सामान्य से 18% कम है.