Delhi News: जिस अस्पताल से बच्चा चोरी हो उसका लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए, SC की सख्त टिप्पणी
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Delhi News: जिस अस्पताल से बच्चा चोरी हो उसका लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए, SC की सख्त टिप्पणी

Delhi-NCR Child Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली-एनसीआर में बच्चों की तस्करी की घटना का जिक्र करते हुए कहा, यह घटना हतप्रभ कर देने वाली है और इसमें कोर्ट के दखल की जरूरत है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.

 

Delhi News: जिस अस्पताल से बच्चा चोरी हो उसका लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए, SC की सख्त टिप्पणी

Delhi News: दिल्ली-एनसीआर में बच्चों की तस्करी से जुड़े गैंग के पर्दाफाश से जुड़ी खबर पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से चुराया जाता है तो सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि उसका लाइसेंस सस्पेंड होना चाहिए. कोर्ट ने यूपी के बच्चों की तस्करी के मामले में एक आदेश सुनाते हुए दिल्ली में इस गैंग के पकड़े जाने की घटना का जिक्र किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों  तस्करी करने वाले गैंग के पर्दाफाश की घटना अपने आप में हतप्रभ कर देने वाली है और इसमें कोर्ट के दखल की जरूरत है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है और दिल्ली पुलिस से पूछा है कि दिल्ली के अंदर और बाहर इस तरह के गैंग से निपटने के लिए उसकी ओर से क्या कदम उठाए जा रहे हैं. 

बता दें दिल्ली की द्वारका पुलिस ने 8 अप्रैल को एक मानव तस्करी गैंग का भंडाफोड़ किया था, जिसमें दो महिलाओं समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह गैंग दिल्ली-एनसीआर में निसंतान अमीर परिवारों को बच्चों की सप्लाई करते थे. वे राजस्थान और गुजरात से नवजात बच्चों को लाकर 5-10 लाख रुपये में बेचते थे. उनके पास से एक नवजात बच्चा भी बरामद हुआ था. 

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दरअसल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें तस्करी करके लाए गए एक बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दंपति को सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे. सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी के मामलों से निपटने के तरीके को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए राज्यों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए.

 छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सख्त क्रियान्वयन का निर्देश देते हुए निचली अदालतों को बाल तस्करी के मामलों में छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया. बेंच ने कहा, देशभर के हाईकोर्ट को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने का निर्देश दिया जाता है. इसके बाद 6 महीने में मुकदमे को पूरा करने और दिन-प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा. आरोपियों की जमानत रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आरोपी को बेटे की चाहत थी और उसने 4 लाख रुपये में बेटा खरीद लिया. अगर आप बेटे की चाहत रखते हैं तो आप तस्करी किए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते, क्योंकि वह जानता था कि बच्चा चोरी हुआ है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट को लगाई फटकार 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले निपटने के लिए यूपी सरकार और इलाहाबाद हाई कोर्ट के रवैये पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने जमानत अर्जियों को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते बहुत से आरोपी फरार हो गए. ऐसे आरोपी समाज के लिए खतरा है. हाईकोर्ट को कम से कम जमानत देते वक्त सख्त शर्तें तो लगानी चाहिए थी.

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