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Lallimal Ki Haveli: दिल्ली की गलियों में ऐसी कई इमारतें हैं, जो रोचक इतिहास समेटे हुए हैं. इनमें से एक है 'लल्लीमल की हवेली', जो पुरानी दिल्ली के सीताराम बाजार में स्थित है. यह हवेली सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि 200 साल पुरानी इतिहास की एक मिसाल है. इसकी अनूठी वास्तुकला और प्राचीन एयर कंडीशनिंग प्रणाली इसे विशेष बनाती है. इस लेख में लल्लीमल की हवेली के इतिहास के बारे में जानते हैं.
दिल्ली की लल्लीमल की हवेली का इतिहास
लल्लीमल की हवेली का नाम लाला लल्लीमल के नाम पर रखा गया है, जो 19वीं सदी के एक प्रसिद्ध व्यापारी थे. उनका व्यापार दिल्ली से लेकर कराची तक फैला हुआ था. लल्लीमल की समृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस हवेली के निर्माण में विदेशों से सामग्री मंगवाई थी. लंदन से आई टीन की चादरें और नायाब पत्थर आज भी इस हवेली की दीवारों पर गर्व से खड़े हैं.
लल्लीमल की हवेली का AC सिस्टम
लल्लीमल की हवेली की सबसे खास बात इसका प्राकृतिक शीतलन तंत्र है. यह तंत्र आज के आधुनिक एयर कंडीशनरों से पहले का एक अनोखा उदाहरण है. हवेली की मोटी दीवारें और ऊंची छतें गर्मियों में भी अंदर का तापमान संतुलित रखती हैं. दीवारों में चूने और खास पलस्तर का उपयोग किया गया है, जो नमी को नियंत्रित करता है और गर्मी को बाहर रखता है.
कराची के पत्थारों से बनी हवेली
हवेली का आकार भले ही विशाल न हो, लेकिन इसकी वास्तुकला हर किसी को आकर्षित करती है. प्रवेश द्वार पर बारीक नक्काशी, जटिल जालियां और पुराने जमाने के लकड़ी के दरवाजे मुगल और राजपूत शैली का मिश्रण दर्शाते हैं. हवेली की दीवारें कराची के व्यापारिक रिश्तों की कहानी बयां करती हैं, क्योंकि वहां से मंगाए गए पत्थरों का इस्तेमाल निर्माण में हुआ था.
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लल्लीमल की हवेली का का संरक्षण
लल्लीमल की हवेली ने समय की कई मार झेली है. पुरानी दिल्ली की कई हवेलियां जर्जर हो चुकी हैं, लेकिन यह हवेली अपने मूल स्वरूप को काफी हद तक बरकरार रखे हुए है. इसके रखरखाव में उन कारीगरों की मदद ली गई है, जो पारंपरिक निर्माण तकनीकों के जानकार हैं. हालांकि, शहरीकरण और आधुनिकता की दौड़ में इस हवेली को संरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है.
चांदनी चौक की गलियों में पुरानी हवेली
लल्लीमल की हवेली केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि पुरानी दिल्ली की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है. यह हवेली उन गुमनाम कहानियों को जीवित रखती है, जो चांदनी चौक की गलियों में बिखरी पड़ी हैं. अगर आप पुरानी दिल्ली की सैर पर हैं, तो सीताराम बाजार की इस हवेली को जरूर देखें. यह न केवल इतिहास की सैर कराएगी, बल्कि आपको उस दौर की इंजीनियरिंग और समृद्धि का भी गवाह बनाएगी.
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