दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद मेजर आशीष धौंचक की मां कमला और पत्नी ज्योति को सम्मानित किया. मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में अपनी टीम के साथ आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शामिल थे. घने जंगलों में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उनकी जांघ में गोली लगी थी.
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Haryana News: गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद मेजर आशीष धौंचक की मां कमला और पत्नी ज्योति को सम्मानित किया. यह भावुक क्षण था जब कमला भावुक होकर रोने लगीं, और राष्ट्रपति ने उन्हें गले लगाकर सांत्वना दी. इस दौरान ज्योति भी अपनी भावनाओं को छिपा नहीं सकीं. मेजर आशीष 13 सितंबर 2023 को शहीद हुए थे और उनका योगदान देश के प्रति अमूल्य है.
मेजर आशीष धौंचक 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे. उन्हें 15 अगस्त 2023 को सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था. उनकी शहादत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है. मेजर आशीष की 4 वर्षीय बेटी है और उनकी पत्नी ज्योति एक गृहिणी हैं. उनका परिवार TDI सिटी में निवास करता था. मेजर आशीष ने पानीपत की TDI सिटी में नया घर बनवाया था, जिसमें वह अपने जन्मदिन पर शिफ्ट होने वाले थे. लेकिन उससे पहले ही आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए. यह एक दुखद संयोग था कि उन्होंने अपने सपनों का घर बनाने के लिए इतनी मेहनत की, लेकिन उनका जीवन एक वीरता की कहानी में समाप्त हो गया.
आतंकियों के साथ मुठभेड़ में जांघ में लगी थी गोली
मेजर आशीष धौंचक अनंतनाग में अपनी टीम के साथ आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शामिल थे. घने जंगलों में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उनकी जांघ में गोली लगी. आर्मी की मेडिकल टीम ने उन्हें इलाज के लिए ले जाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं आतंकियों को मारकर ही जाऊंगा. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद मेजर आशीष ने आतंकियों से लड़ाई जारी रखी. करीब 10 घंटे तक उनके पैर से खून बहता रहा, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई. अंततः उनकी हालत नाजुक हो गई और वे शहीद हो गए. उनके दोस्त विकास ने बताया कि आशीष का देश सेवा का जुनून हमेशा से था.
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मेजर ने कहा था कि दुश्मनों को निपटाकर ही लौटूंगा
मेजर आशीष के जीजा सुरेश दूहन ने साझा किया कि शहीद होने से कुछ दिन पहले उनकी बातचीत हुई थी. आशीष ने उन्हें बताया था कि उन्होंने देश के 4-5 दुश्मनों को निपटा दिया है और वह बाकी को भी निपटाकर लौटेंगे. उन्होंने 23 अक्टूबर 2023 को नए घर में गृह प्रवेश की योजना बनाई थी, जिसमें सभी खुशियां मनाने का इरादा था. मेजर आशीष की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव बिंझौल लाई गई, जहां अंतिम दर्शन के बाद उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. उनकी अंतिम यात्रा में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए, जो उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने आए थे. उनके पार्थिव शरीर के साथ एक किलोमीटर लंबा काफिला था.
तीन बहनों के इकलौते भाई थे मेजर आशीष
मेजर आशीष तीन बहनों के इकलौते भाई थे. उनकी बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं. उनकी मां कमला गृहिणी हैं और पिता लालचंद नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) से सेवामुक्त हुए हैं. उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर है. मेजर आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की और 12वीं के बाद बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक किया. इसके बाद वह एमटेक कर रहे थे, जब उन्होंने 25 वर्ष की आयु में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती होने का निर्णय लिया. उन्होंने बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनाती की और 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए. शहीद होने से ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली थी.