Kaithal News: शिल्ला खेड़ा गांव का प्राथमिक विद्यालय 60 सालों से जर्जर हालत में है. मात्र तीन कमरों वाले इस स्कूल की छतें कभी भी गिर सकती हैं. ग्रामीणों और प्रधानाध्यापक की कई शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. शिक्षा विभाग का दावा है कि बजट पास हो गया है.
Trending Photos
Kaithal News: कैथल से मात्र पांच किलोमीटर दूर शिल्ला खेड़ा गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय बीते 60 वर्षों से जर्जर अवस्था में है. स्कूल की बाहरी दीवारों पर ताजा सफेदी करवाकर इसे ठीक-ठाक दिखाने की कोशिश जरूर की गई है, लेकिन जब अंदर के कमरों में झांका जाए तो हकीकत सामने आ जाती है.दीवारें और छतें इस कदर खस्ताहाल हैं कि कभी भी ढह सकता हैं.
1965 में स्थापित इस विद्यालय को शिक्षा विभाग पहले ही जर्जर भवन घोषित कर चुका है. बावजूद इसके, नया भवन निर्माण को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. करीब 2000 की आबादी वाले इस गांव के एकमात्र प्राथमिक विद्यालय में मात्र तीन कमरे हैं. इन कमरों की हालत इतनी खराब है कि बरसात या तेज हवा में पढ़ाई कराना खतरे से खाली नहीं है. स्कूल का प्रांगण भी पूरी तरह से टूट-फूट चुका है.
गरीबों की मजबूरी, जान जोखिम में डालकर पढ़ाई
गांव के गरीब परिवारों के पास विकल्प नहीं है, इसलिए वे मजबूरी में अपने बच्चों को इसी स्कूल में भेजते हैं. साफ मौसम में बच्चे खुले में पढ़ते हैं, लेकिन खराब मौसम में उन्हें जर्जर कमरों में बैठना पड़ता है, जहां कभी भी छत से सीमेंट के टुकड़े गिर सकते हैं. यही एक कमरा हेडमास्टर का दफ्तर भी है.
हेडमास्टर और ग्रामीण कर चुके हैं कई बार शिकायत
विद्यालय के प्रधानाध्यापक का कहना है कि वे बीते नौ वर्षों से स्कूल भवन के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने विभाग और स्थानीय विधायक को सरपंच के साथ मिलकर कई बार लिखित शिकायत दी है, जिसकी प्रतिलिपियां और भवन की खस्ताहाल स्थिति की तस्वीरें भी विभाग को सौंपी जा चुकी हैं. लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं. उनका मानना है कि यदि नया भवन बनता है तो स्कूल में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सकती है.
सरपंच भी काट चुके हैं विभाग और विधायक के कई चक्कर
गांव के सरपंच ने भी बताया कि वे खुद अध्यापकों और ग्रामीणों के साथ कई बार शिक्षा विभाग और विधायक से मिल चुके हैं. उन्होंने भी लिखित शिकायतें दी हैं, लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई. सरपंच ने कहा, गरीब बच्चों की मजबूरी है कि वे इसी खस्ताहाल स्कूल में पढ़ाई करें. अध्यापक अच्छे हैं और मेहनत करते हैं, लेकिन बिल्डिंग बेहद जर्जर है. अगर नए कमरे बन जाएं तो गांव के और भी बच्चे इस स्कूल में पढ़ने आएंगे.
ये भी पढें- सुल्तानपुर गांव की स्वच्छता देखने आते हैं देश-विदेश से लोग, PM मोदी करेंगे सम्मानित
शिक्षा विभाग का दावा, बजट पास हो चुका है
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि मामला सरकार के संज्ञान में है, बजट पास हो चुका है और जल्द ही स्कूल की हालत सुधारी जाएगी. हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे ही आश्वासन उन्हें पिछले नौ सालों से दिए जा रहे हैं. समृद्ध परिवार अपने बच्चों को सुरक्षित निजी स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन गरीब परिवारों के बच्चे खतरे में पढ़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार इस बार वाकई कोई ठोस कदम उठाएगी और बच्चों को एक सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षा का अधिकार दिलाया जाएगा.
इनपुट- विपिन शर्मा