Delhi News: JMI ने यौन उत्पीड़न के आरोप में सहायक प्रोफेसर को किया बर्खास्त
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Delhi News: JMI ने यौन उत्पीड़न के आरोप में सहायक प्रोफेसर को किया बर्खास्त

Delhi JMI: जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगने पर अपने एक सहायक प्रोफेसर को बर्खास्त कर दिया. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करते हुए उसने तुरंत आरोपी फैकल्टी की सेवाएं खत्म कर दीं. 

Delhi News: JMI ने यौन उत्पीड़न के आरोप में सहायक प्रोफेसर को किया बर्खास्त

Delhi News: जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगने पर अपने एक सहायक प्रोफेसर को बर्खास्त कर दिया. वह राजनीति विज्ञान विभाग में अनुबंध के आधार पर नियुक्त था. विश्वविद्यालय ने बताया कि आरोपी सहायक प्रोफेसर के खिलाफ दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में एक महिला द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई है. इस शिकायत के आधार पर आरोपी की गिरफ्तारी की सूचना प्राप्त हुई.

प्रोफेसर को किया बर्खास्त
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करते हुए उसने तुरंत आरोपी फैकल्टी की सेवाएं खत्म कर दीं. उसने इसे जघन्य अपराध बताया. घटना की कड़ी निंदा करते हुए जामिया ने स्पष्ट किया कि आरोपी स्थायी संकाय सदस्य नहीं है, बल्कि एक अनुबंधित कर्मचारी है, जिसे अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया था. यौन हमले की यह घटना विश्वविद्यालय परिसर के बाहर हुई थी. यह पूरी तरह से व्यक्तिगत एवं निजी मामला है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया का इस कथित घटना से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि यह विश्वविद्यालय परिसर में नहीं हुआ है. फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस गंभीर अपराध की कड़ी निंदा करते हुए आरोपी को बर्खास्त कर दिया.

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बुधवार शाम इस कार्रवाई के बाद जामिया प्रशासन ने कहा कि महिलाओं के सम्मान, गरिमा और अधिकारों पर किसी भी प्रकार का हमला जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. विश्वविद्यालय को पूरा विश्वास है कि न्याय होगा, क्योंकि कानून अपना मार्ग खुद निर्धारित करेगा. इसके साथ ही, JMI में महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के तहत विधिवत गठित आंतरिक शिकायत समिति मौजूद है. इस समिति की जानकारी व्यापक रूप से प्रसारित की जाती है ताकि विश्वविद्यालय के सभी संबंधित पक्षों के लिए इसे आसान बनाया जा सके. विश्वविद्यालय का कहना है कि विभिन्न संकायों, विभागों और केंद्रों द्वारा समय-समय पर जेंडर संवेदनशीलता पर कार्यशालाएं और व्याख्यान सक्रिय रूप से आयोजित किए जाते हैं.

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