2010 Commonweath Games Scam: कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि कॉमनवेल्थ मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की क्लोजर रिपोर्ट को अदालत ने स्वीकार कर लिया है और कोर्ट ने इस मामले की जांच को बंद कर दिया है.
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Delhi Commonwealth Games Scam: 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर देशभर में जिस बड़े घोटाले का शोर मचाया गया था, वो अब पूरी तरह से कानूनी रूप से खत्म हो गया है. दिल्ली की एक विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को औपचारिक रूप से बंद कर दिया है. अदालत ने माना है कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा कोई अपराध नहीं हुआ है और ईडी की लंबी जांच के बाद भी ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे किसी पर आरोप तय किए जा सकें.
मोदी और केजरीवाल को कांग्रेस से मांगनी चाहिए माफी : जयराम रमेश
इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी महासचिव और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि 2014 से पहले, अरविंद केजरीवाल और भाजपा ने जुगलबंदी करके कांग्रेस को बदनाम करने के लिए 2G और कॉमनवेल्थ जैसे झूठे घोटाले गढ़े. दो बेहद ईमानदार और समर्पित नेताओं—डॉ. मनमोहन सिंह और शीला दीक्षित पर झूठे आरोप लगाए गए. 2G का सच पहले ही अदालत में सामने आ चुका था. आज, कॉमनवेल्थ मामले में भी ED की क्लोज़र रिपोर्ट को अदालत ने स्वीकार कर लिया है. साफ है—दोनों आरोप झूठे थे! देश को गुमराह करने के लिए नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस और भारत की जनता से माफी मांगनी चाहिए. सत्यमेव जयते!
2014 से पहले, अरविंद केजरीवाल और भाजपा ने जुगलबंदी करके कांग्रेस को बदनाम करने के लिए 2G और कॉमनवेल्थ जैसे झूठे घोटाले गढ़े। दो बेहद ईमानदार और समर्पित नेताओं—डॉ. मनमोहन सिंह और श्रीमती शीला दीक्षित—पर झूठे आरोप लगाए गए।
2G का सच पहले ही अदालत में सामने आ चुका था। आज, कॉमनवेल्थ…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 28, 2025
क्या था पूरा मामला
साल 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन हुआ था. उस समय आयोजन समिति के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी थे. आरोप लगे कि गेम्स के आयोजन में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है और कई ठेके अनुचित तरीके से दिए गए. इसके बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया और फिर उसी आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. इस मामले में सुरेश कलमाड़ी के अलावा आयोजन समिति के महासचिव ललित भनोट, मुख्य संचालन अधिकारी विजय कुमार गौतम, कोषाध्यक्ष ए.के. मट्टो और स्विट्ज़रलैंड की इवेंट नॉलेज सर्विसेज (EKS) के सीईओ क्रेग गॉर्डन मैलैचे के नाम भी सामने आए थे.
ईडी ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं मिला कोई सबूत
लेकिन 13 साल की लंबी जांच के बाद ईडी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सबूत नहीं मिला है. विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि जब कोई अपराध बनता ही नहीं है, तो जांच को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है. इस फैसले के साथ ही 15 साल पुराने इस बहुचर्चित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले का अंत हो गया है. कोर्ट के फैसले ने यह भी साबित कर दिया है कि जिस घोटाले को लेकर सालों तक कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया गया, उसमें वास्तव में कोई ठोस प्रमाण नहीं थे. अब इस पूरे घटनाक्रम पर देश में एक नई बहस छिड़ गई है- क्या भ्रष्टाचार के नाम पर की गई राजनीति में देश का कीमती समय और संसाधन बर्बाद हुआ.
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