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Fatehabad News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में रह रहे शरणार्थी अब पाकिस्तान नहीं लौटना चाहते. दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज पास रह रहे शरणार्थियों का कहना है कि वह मरना पसंद करेंगे पर पाकिस्तान नहीं जाएंगे. इस बीच 25 साल पहले भारत आए पूर्व सांसद दिवाया राम फतेहाबाद में आइसक्रीम बेचकर परिवार को पाल रहे हैं. 80 साल के दिवाया राम के परिवार में 30 सदस्य हैं, जिनमें से 6 लोगों को भारत की नागरिकता मिल चुकी है, बाकी ने आवेदन किया हुआ है. उम्मीद है कि वह भी जल्द भारतीय नागरिक कहलाएंगे। उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने का मौका मिला तो वह सबसे पहले हथियार उठाएंगे. अब थोड़ा फ्लैश बैक में जाकर जान लेते हैं कि आखिर कभी रुतबे में रहे दिवाया राम को भारत में पनाह लेने की जरूरत क्यों पड़ी.
दरअसल फतेहाबाद के रतनगढ़ गांव में रह रहे दिवाया राम पाकिस्तान में बेनजीर भुट्टो की सरकार में सांसद थे. पाकिस्तान की संसद में अल्पसंख्यकों के लिए कुछ पद आरक्षित होते हैं. एक बार की बात है कि वहां कुछ गुंडे एक लड़की को उठा ले गए, लेकिन सत्ता में होने के बावजूद दिवाया राम कुछ नहीं कर पाए. वहां आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे थे. इससे परेशान होकर उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. 2000 में वह अपनी मां, पत्नी, 8 बेटों और 2 बेटियों के साथ भारत आ गए. उनके पास केवल एक महीने का वीजा था.
पहले रोहतक फिर फतेहाबाद में आ बसे
सबसे पहले वे रोहतक के मदीना गांव में रहे और 2008 में रतिया के रतनगढ़ में लगे. 2018 तक वे अपने परिवार का वीजा बढ़वाते रहे. पहले वीजा अवधि हर साल बढ़ती थी, जो बाद में 5 साल के लिए बढ़ने लगी. भारत आने के बाद दिवाया राम को बेटी हुई. रतनगढ़ में ही उन्होंने तीनों बेटियों और 8 बेटों की शादी करवा दी.
नागरिकता वाले आवेदनों की जांच करेगी पुलिस
दिवाया राम के मुताबिक उनके दादा की 25 एकड़ जमीन अब भी पाकिस्तान के बखर जिले की दरियापुर तहसील क्षेत्र में स्थित है. अब उनके आधार कार्ड और अन्य प्रमाण पत्र भी बन चुके हैं. दिवाया राम का चचेरा भाई ओमप्रकाश भी पिता सोना राम, 3 भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 2006 में रतिया आ गया था. फतेहाबाद के SP सिद्धार्थ जैन का कहना है कि आवेदनों की जांच की जा रही है. फिलहाल किसी को पाकिस्तान नहीं भेजा जाएगा.