World Health Day 2025: सिर्फ आंकड़े नहीं, हकीकत है ये! दिल्ली में हर दिन औसतन 20 शिशु तोड़ रहे हैं दम, पढ़ें पूरी वजह
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2708440

World Health Day 2025: सिर्फ आंकड़े नहीं, हकीकत है ये! दिल्ली में हर दिन औसतन 20 शिशु तोड़ रहे हैं दम, पढ़ें पूरी वजह

Newborn Death Rate: डॉक्टरों का कहना है कि शिशुओं की मौत की सबसे बड़ी वजह यह है कि गर्भावस्था के समय मां और बच्चे को सही पोषण और देखभाल नहीं मिल पाती. इसके अलावा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधाएं भी बहुत कम हैं.

 

World Health Day 2025: सिर्फ आंकड़े नहीं, हकीकत है ये! दिल्ली में हर दिन औसतन 20 शिशु तोड़ रहे हैं दम, पढ़ें पूरी वजह
World Health Day 2025: सिर्फ आंकड़े नहीं, हकीकत है ये! दिल्ली में हर दिन औसतन 20 शिशु तोड़ रहे हैं दम, पढ़ें पूरी वजह

Newborn Mortality: विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम है 'स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य'. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के हालात इस थीम के बिल्कुल उलट तस्वीर पेश कर रहे हैं. सरकारी कोशिशों के बावजूद दिल्ली में हर दिन औसतन 20 नवजात शिशु जन्म के पहले साल में दम तोड़ रहे हैं. ये आंकड़ा न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य के मोर्चे पर हमारी नाकामी की कहानी भी कहता है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में दिल्ली में कुल 7439 नवजात शिशुओं की मौत हुई. इनमें से 60 प्रतिशत बच्चों की मौत चार महीने की उम्र से पहले ही हो गई. शिशु मृत्यु दर बढ़कर 23.61 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो अमेरिका जैसे विकसित देशों की तुलना में कई गुना ज्यादा है. अमेरिका में यह दर प्रति हजार जन्म पर महज 5 से 6 होती है.

मुख्य कारण क्या हैं? 
डॉक्टर्स और विशेषज्ञ मानते हैं कि सबसे बड़ी वजह है गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे का पर्याप्त पोषण और देखभाल न मिल पाना. इसके अलावा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा की कमी, खासकर नवजात शिशुओं के लिए जरूरी NICU और PICU यूनिट बड़ी समस्या है. इमरजेंसी सिजेरियन सर्जरी की सुविधा भी कई अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है.

नवजात मृत्यु दर के आंकड़े

 वर्ष  मौतें  शिशु मृत्यु दर
 2020  6145  20.37
2021  6413  23.60
2022  7155  23.82
2023
 7439  23.61

शिशुओं की मौत के प्रमुख कारणों में शामिल हैं.

  1. गर्भ में सही विकास न हो पाना और कुपोषण – 20.45%
  2. निमोनिया – 18.51%
  3. सेप्टिसीमिया (ब्लड इंफेक्शन) – 14.95%
  4. सांस की तकलीफ और ऑक्सीजन की कमी – 9.49%
  5. शॉक और अन्य जटिल बीमारियां – 6.27%

दिल्ली में संस्थागत प्रसव की दर 95.58% तक पहुंच चुकी है, जिससे मातृ मृत्यु दर में गिरावट तो आई है, लेकिन फिर भी 2023 में 142 गर्भवती महिलाओं की जान चली गई. सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जैसे जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना और पोषण अभियान, सभी महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रही हैं. जरूरत इस बात की है कि केवल योजनाएं बनाना ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर उन तक पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है. विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर यह सवाल सबसे बड़ा है कि क्या हम अपने बच्चों को एक स्वस्थ शुरुआत और आशापूर्ण भविष्य दे पा रहे हैं.

ये भी पढ़िए-  प्यार में पागलपन या जुनून? दिल्ली में युवक ने गर्लफ्रेंड पर किया जानलेवा हमला

;