Indore Underground Metro: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में मेट्रो की शुरुआत हो गई है. पहले हफ्ते इंदौर मेट्रो अपने यात्रियों को फ्री में ले जा रही है. पहले चरण में येलो लाइन के सुपर कॉरिडोर गांधीनगर स्टेशन, सुपर कॉरिडोर नंबर 6 से लेकर सुपर कॉरिडोर नंबर 3 तक के स्टेशन पर मेट्रो दौड़ रही है. वहीं आगे के मेट्रो स्टेशनों का काम भी निरंतर जारी है. बहुत जल्द इंदौर मेट्रो का अंदर ग्राउंड काम भी शुरू किया जाएगा. इस दौरान नदी के नीचे से भी मेट्रो का ट्रैक बनाया जाएगा. आइए जानते हैं आगे कहां से कहां तक किस तरह बनेगा इंदौर मेट्रो का ट्रैक...
दरअसल, गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक अक्टूबर तक मेट्रो चलाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके साथ ही इंदौर में अंडर ग्राउंड हिस्सों में भी मेट्रो बनाने का काम शुरू किया जाएगा. इसमें जमीन के नीचे गहरी सुरंग बनाकर कान्हा नदी के नीचे मेट्रो ट्रैक बनाया जाएगा.
इंदौर मेट्रो के सुरंग की गहराई 16 मीटर के करीब होगी. बताया जा रहा है कि इस सुरंग को मशीन के माध्यम से बनाया जाएगा. इससे जमीने के ऊपरी हिस्सों पर बने इमारतों पर कोई असर नहीं होगा. यह अंडरग्राउंड रूट भविष्य में इंदौर की लाइफ लाइन मेट्रो रूट होगी.
इंदौर देश को पहला मेट्रो जहां पहले फेज में रिंग माडल तैयार हुआ. 31 किलोमीटर के मेट्रो के रूट में आप कहीं से भी बैठो पूरा मेट्रो रूट घूमकर उसी मेट्रो स्टेशन पर आ सकते हैं.
एयरपोर्ट से अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन को सबवे से कनेक्टिविटी मिलेगी. बताया जा रहा है कि दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन की तर्ज पर रीगल का अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन तैयार किया जाएगा. यह ऐसा मेट्रो स्टेशन होगा जिससे भविष्य में शहर में एक छोर से दूसरे हिस्से तक बनने वाली नई मेट्रो लाइन भी कनेक्ट हो सकेगी
इंदौर में जमीन तल से 16 से 17 मीटर नीचे मेट्रो की सुरंग बनाई जाएगी. इंदौर ऐसा पहला जगह नहीं है, जहां नदी के नीचे मेट्रो चलेगी. इससे पहले पुणे और कोलकाता की हुगली नदी के नीचे से भी अंडर ग्राउंड मेट्रो निकाली गई है.
इंदौर में कान्ह नदी के नीचे से मेट्रो की अंडर ग्राउंड सुरंग जाएगी. एलिवेटेड हिस्से के मुकाबले अंडर ग्राउंड बनाने में ज्यादा खर्च व समय लगता है. इसी वजह जिस सघन इलाके में एलिवेटेड मेट्रो बनाना संभव नहीं होता. वहां पर अंडर ग्राउंड मेट्रो बनाई जाती है.
अब सवाल यह है कि जिन सघन इलाकों से अंडरग्राउंड मेट्रो निकाली जाएगी, क्या उनके ऊपरी हिस्से पर बनी इमारतें भी प्रभावित होंगी तो बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा. क्योंकि, जमीन के 16 मीटर नीचे कैप्सूलनुमा टनल बोरिंग मशीन सुरंग (टीबीएम) बनाएगी. जमीन के नीचे ब्लास्टिंग नहीं की जाएगी. टीबीएम से सुरंग बनाने स जमीन के ऊपर की इमारतों पर असर नहीं होता है.
सोर्स- नई दुनिया (नोट यहां उपयोग में ली गई कुछ तस्वीरें Meta AI द्वारा जनरेटेड हैं. जो काल्पनिक हैं)
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