MP Agriculture News: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में अरहर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां के किसान इस फसल की खेती के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं. जिससे किसान बंपर पैदावार कर अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं.
Trending Photos
Arhar Farming Tips: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में अरहर की खेती बहुत ही बढ़िया मानी जाती है. यहां के किसान अरहर की फसल उगाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. इनमें से एक खास तरीका है नर्सरी विधि, जिसमें पहले पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. उसके बाद फिर खेत में ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. इस तरीके से खेत में अरहर की अच्छी पैदावार होती है और साथ ही बीज भी कम लगते हैं, करीब एक किलो प्रति एकड़. नर्सरी विधि से फसल ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनती है.
वहीं सागर के एक किसान आकाश चौरसिया, जो कि पिछले 16 सालों से यहां जैविक तरीके से अरहर की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि मानसून आने से पहले किसान अरहर की नर्सरी तैयार कर सकते हैं. जब अच्छी बारिश होती है, तभी इन्हें खेत में लगाया जाता है. इस तरीके से पौधे बड़े-बरगद जैसे झाड़ बन जाते हैं, जिनकी ऊंचाई 6 फीट तक पहुंच जाती है. अरहर के पौधे इतने मजबूत होते हैं कि उन्हें ना तो खाद की जरूरत पड़ती है और ना ही बार-बार पानी देने की.
इस तरीके से करें नर्सरी
अरहर की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले 100 किलो मिट्टी और 100 किलो कंपोस्ट मिलाएं. इसमें 1 किलो नीम पाउडर और 1 किलो चूना पाउडर भी डालें और अच्छे से मिलाकर मिश्रण बनाएं. इस मिश्रण को 2.5 फीट लंबी और 6 इंच चौड़ी पॉलिथीन में डालें और बीच में अरहर के दो-दो बीज लगाएं. लगभग 15 दिनों में छोटे-छोटे मजबूत पौधे तैयार हो जाएंगे, जिन्हें फिर खेत में लगाया जा सकता है.
इस विधि के कई फायदे
नर्सरी विधि के कई फायदे हैं. इससे पौधे मजबूत और बड़े झाड़ के रूप में तैयार होते हैं, जो हवा और बारिश में भी आसानी से टिक जाते हैं. यह तरीका फसल को ज्यादा समय देता है ताकि वह पूरी तरह से पक सके. सर्दियों में फसल जल्दी आ जाती है, जिससे पाले का खतरा कम हो जाता है इस तरीके से खेती करने पर एक से डेढ़ क्विंटल ज्यादा दाल मिलती है, जो आम तौर पर नहीं मिलती.
साथ में करें दूसरी फसल
सबसे बड़ी बात यह है कि नर्सरी विधि से अरहर की खेती के साथ ही कोई दूसरी सह-फसल भी उगाई जा सकती है, जिससे किसान की आय बढ़ जाती है. किसानों को बस 100 रुपये के बीज से लगभग 80 हजार रुपये तक की दाल तैयार करने का मौका मिलता है. यानी मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा, यही बुंदेलखंड के किसान इस नर्सरी विधि को अपनाने की सलाह देते हैं. (सोर्सः न्यूज18)
ये भी पढ़ें: 'सफेद सोना' की खेती का हब माना जाता है MP का यह जिला, हर सीजन दोगुनी कमाई कर रहे किसान
मध्य प्रदेश नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें MP News और पाएं MP Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी । मध्य प्रदेश की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!