रक्षाबंधन के दिन घर पहुंची शहीद भाई की पार्थिव देह, मणिपुर में तैनात था शाजापुर का लाल
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रक्षाबंधन के दिन घर पहुंची शहीद भाई की पार्थिव देह, मणिपुर में तैनात था शाजापुर का लाल

Shajapur News: मणिपुर में शहीद हुए सेना के जवान मोहित सेन की पार्थिव देह जब रक्षाबंधन के दिन शाजापुर जिले में उनके गांव पहुंची तो हर आंख नम हो गई. शहीद भाई को देखते ही बहनें बिलख उठी.

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Crpf Jawan Mohit Sen: मणिपुर में तैनात शाजापुर जिले के अकोदिया गांव के रहने वाले सीआरपीएफ जवान शहीद मोहित सेन की पार्थिव देह रक्षाबंधन के दिन उनके घर पहुंची. जिससे पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. 22 साल के मोहित सेन ड्यूटी के वक्त एक एक्सीडेंट में शहीद हो गए थे, जिसके बाद पूरे सम्मान के साथ उनकी पार्थिव देह गांव लाई गई, जहां परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार किया. लेकिन गांव के जवान की शहादत से हर आंख नम थी. बहनों का रो-रोकर बुरा हाल था. वहीं मोहित की मां को उनके शहीद होने की जानकारी दो दिन तक नहीं दी गई थी. ऐसे में जैसे ही मां को बेटे के शहीद होने की जानकारी लगी तो वह बेसुध हो गईं.

शाजापुर में प्रशासन ने दी अंतिम सलामी 

दरअसल, मणिपुर में तैनात जवान मोहित सेन एक एक्सीडेंट में शहीद हो गए थे, इस बात की जानकारी 6 अगस्त को उनके परिवार को दी गई थी. जिसके बाद मणिपुर से अंकित सेन की पार्थिव देह को शाजापुर में उनके गांव अकोदिया लाने की तैयारी की गई. शनिवार को सुबह 7 बजकर 30 मिनट पर सेना और जिला प्रशासन उनकी पार्थिव देह लेकर गांव पहुंची तो पूरा गांव उमड़ पड़ा. गांव के सभी लोगों ने शहीद की अंतिम यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया गया. वहीं आसपास के गांव के लोग भी मोहित सेन के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. वहीं रक्षाबंधन के दिन शहीद का शव गांव पहुंचा तो पूरे गांव का रो-रोकर बुरा हाल था. 

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मोहित सेन के चाचा की तीन बेटियां थी मोनिका, राधिका, सोनिका, तीनों ने भाई को राखी बांधने की तैयारी की थी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि भाई की पार्थिव देह आने वाली है. बहनों का भाई के शहीद होने से रो-रोकर बुरा हाल था. क्योंकि 1 महीने पहले ही उन्होंने घर आने की बात कही थी, क्योंकि घर में उनकी शादी की तैयारियां चल रही थी, जिससे पूरे परिवार में खुशी की लहर थी. लेकिन भाई के शहीद होने से पूरे परिवार मे शोक की लहर है.

दो साल से मणिपुर में तैनात थे मोहित सेन

बता दें कि मोहित सेन दो साल से  मणिपुर में तैनात थे, उनके पिता भी सेना में थे और वह सीआरपीएफ की 120 बटालियन में थे. ऐसे में पिता से प्रेरित होकर मोहित ने भी देश की सेवा की राह चुनी थी. अकोदिया गांव में उनके पूरे सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए अंतिम विदाई दी गई. इस दौरान शुजालपुर के बीजेपी विधायक घनश्याम चंद्रवंशी और शाजापुर जिले के प्रशासन के सीनियर अधिकारी भी मौजूद थे, जिन्होंने शहीद के परिजनों से मुलाकात की और उनका दुख बांटा. वहीं गांव में शहीद मोहित सेन के नाम पर स्कूल का निर्माण कराने की घोषणा की गई है. 

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