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हरछठ पूजा: MP के विंध्य क्षेत्र की खास परंपरा, जंगल से जुड़ाव की मिसाल यह त्योहार

Harchhath Puja: हरछठ पूजा मध्य प्रदेश का खास त्योहार माना जाता है, खास तौर पर यह विंध्य अंचल में मनाया जाता है. भाद्रपद माह की छठवीं तिथि को मनाया जाने वाला हरछठ व्रत गुरुवार 14 अगस्त को धूमधाम से मनाया जा रहा है. हरछठ व्रत न सिर्फ मातृत्व की आराधना का पर्व है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और संरक्षण का संदेश भी देता है. क्योंकि जंगलों से मिलने वाले सामाना से ही हरछठ की पूजा होती है. आधुनिक दौर में पारंपरिक जीवनशैली और पर्यावरण चेतना का अद्भुत मेल है. जो विंध्य क्षेत्र में देखने को मिलता है. इस त्योहार को कही-कही हलषष्ठी भी कहा जाता है. 

हरछठ व्रत

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हरछठ व्रत

विंध्य क्षेत्र में भाद्रपद माह की छठवीं तिथि को मनाया जाने वाला हरछठ व्रत गुरुवार 14 अगस्त को मनाया जा रहा है, इसे हलषष्ठी भी कहा जाता है, लेकिन विंध्य में इसे हरछठ के नाम से जाना जाता है. महिलाएं सालभर इस दिन का इंतजार करती हैं और संतान की लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं.

बाजारों में रौनक

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बाजारों में रौनक

व्रत के लिए विशेष सामान जैसे कांस के फूल, महुआ के पत्ते, पलाश के पत्ते, बेर की डालियां, मिट्टी की चुकरिया और बांस की टोकनियां बाजार में खूब बिक रही हैं, ग्रामीण इलाकों से महिलाएं जंगलों से यह सामग्री जुटाती हैं.

पूजा विधि

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पूजा विधि

सुबह पवित्र स्थान पर स्नान, शिव-पार्वती की पूजा, फिर दोपहर में विशेष प्रसाद बनाकर सामूहिक पूजा होती है, भैंस का दूध-दही-घी, पसही का चावल, महुआ के फूल और जंगली पड़ोरा की सब्जी प्रसाद में शामिल होती है. महिलाएं पूरे दिन सिर्फ प्रसाद ग्रहण कर व्रत रखती हैं.

खास नियम

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खास नियम

इस दिन हल से जुताई वाली जगह पर जाना और वहां उगने वाली फसल खाना वर्जित है, पूजा में केवल अनकल्टीवेटेड (जंगल में खुद से उगने वाली) चीजें ही इस्तेमाल होती हैं. एक तरह से यह त्योहार पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित रहता है.

प्रकृति संरक्षण का संदेश

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प्रकृति संरक्षण का संदेश

यह व्रत हमें जंगली पौधों और अनाज जैसे पसही चावल, जंगली पड़ोरा और कांस घास के संरक्षण का महत्व सिखाता है. खेती के बाहर प्रकृति में जो अनमोल चीजें उगती हैं, उन्हें बचाने की प्रेरणा देता है. हरछठ सिर्फ धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि परंपरा के साथ प्रकृति से जुड़ाव और उसके संरक्षण का भी संदेश देता है.

हरछठ की धूम

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हरछठ की धूम

इस बार भी मध्य प्रदेश में हरछठ की धूम देखी जा रही है. विंध्य क्षेत्र में महिलाओं में उल्लास दिख रहा है. इस भगवान बलराम की भी पूजा की जाती है, जिसके चलते ही इसे हलषष्ठी भी कहा जाता है. क्योंकि यह त्योहार खास होता है.

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